मायका माँ से है, .
और
ससुराल सास से है
(मायका और ससुराल, दो ऐसे स्थान हैं जो हर महिला के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। मायका जहाँ माँ की ममता और बचपन की यादें समेटे होता है, वहीं ससुराल सास के आशीर्वाद और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। इन दोनों रिश्तों की गहराई और उनकी अपनी अहमियत है। माँ और सास के बिना मायका और ससुराल अधूरे हैं, क्योंकि यही रिश्ते हमें संवेदनशीलता, प्रेम और जिम्मेदारियों का अर्थ सिखाते हैं। ये कविता आपको इन रिश्तों की भावनात्मक यात्रा पर ले जाएगी। )
मायका माँ की ममता का घर,
जहाँ हर कोने में उनकी खुशबू बसे,
पग-पग पर स्नेह का झरना,
आँखों में सपनों की नमी समेटे।
माँ की गोदी वो स्वर्ग है,
जहाँ बचपन का हर दर्द सिमट जाए।
हर आहट पर उनकी दुआओं का परिंदा,
प्यार से लिपट जाए।
ससुराल सास से है,
जो नयी ज़िन्दगी की डोर थामे,
नव वधू को अपना संसार दे।
हर अनुभव में छिपी उनकी सीख,
जीवन के नए पाठ पढ़ाए।
सास का आँचल वो छांव है,
जो हर थकान को मिटा दे।
उनकी ममता में भी वो मिठास है,
जो हर रिश्ते को नया रंग दे।
मायका बिना माँ का नहीं,
वो आँगन जो माँ की मुस्कान से जगमगाए।
हर दीवार पर उनकी यादों की छाप,
जो हर दिन हमें गले लगाए।
माँ की कहानियाँ वो जीवन के गीत हैं,
जो हर रात्रि हमारे सपनों को सजाए।
ससुराल बिना सास का नहीं,
वो घर जो उनके आशीर्वाद से बसता है।
उनके स्नेह का हर धागा,
नव दंपति के जीवन को जोड़ता है।
सास की सलाहें वो नींव हैं,
जो हर रिश्ता संवारती हैं।
उनकी हंसी में वो संगीत है,
जो हर गम को हल्का कर दे।
मायका माँ से है,
जहाँ हर दर्द माँ के आँचल में सिमट जाए।
ससुराल सास से है,
जहाँ हर खुशी उनकी दुआओं से सजी जाए।
माँ और सास दोनों वो शक्ति हैं,
जो हमें संवारती और सिखाती हैं।
इन दोनों के बिना,
मायका और ससुराल अधूरे हैं।
ये रिश्ते ही हमारे जीवन की बुनियाद हैं,
जो हमें सम्पूर्ण बनाते हैं।