Photo by Yoann Boyer on Unsplash

कैसे अपना जीवन सफल बनाऊं
किसके गुण अपनाऊं
तभी जल देख मिली प्रेरणा
में जल जैसी बन जाऊँ

मैं जल जैसी बन जाऊं!
पवित्र निर्मल चंचल सलिल सी,
जीवन के सुख दुःख पथ पर
स्वंय रस्ता खोज आगे बढ़ती जाऊं

न सुख में कभी करू घमण्ड
न दुःख विचलित होऊँ
शान्त जल सी हर स्थिति में ढल जाऊं!
में जल जैसी बन जाऊँ

न कोई जात जल की
न कोई अपना रंग
जिस से की मित्रता
रंगा उसी के रंग
यही गुण जीवन में अपनाऊं
मैं जल जैसी बन जाऊं

बह कभी किसी के चक्षु से
खुशियां बन छलक जाऊं
आँखो से बह कभी
भीतर की पीड़ा शांत कर जाऊं

अमृत शीतल जल बन
कंठ पिपासा बुझाऊँ ,
वर्षा की बूंद बन
मिट्टी को महकाऊँ!

जीवनदायनी बन
ये मनुष्य जीवन
सफल बनाऊं
मैं जल जैसी बन जाऊं!

.    .    .

Discus