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(सारी अपेक्षा घर के बेटे से ही क्यों--- ?
बेटी भी सक्षम है वह भी घर की जिम्मेदारी उठा सकती है उसे मौका तो दीजिए खुद को साबित करने का । निराशा नहीं होगी आपको---
बेटा अगर घर का दीपक है , तो बेटी भी घर की ज्योति है ।
कुछ ज्यादा नहीं चाहती बेटी आपसे --
बस चाहती हैं तो
आपका विश्वास ,प्यार , और आगे बढ़ने का बराबरी का मौका---)
जब पथ कठिनाईयों से भरा मिलेगा,
हर कदम पर संघर्ष की बारी होगी,
हौंसलों से नई रचना मैं बना दूंगी
मैं सारी जिम्मेदारियाँ उठाऊंगी
मां के आंचल का चैन, पिता के गर्व का मान,
भाई की साथी, बहन की मुस्कान,
हर रिश्ते को निभाऊंगी,
मैं सारी जिम्मेदारियाँ उठाऊंगी।
अगर कहीं टूट जाएं सपनों के पुल,
उड़ान में बिखर जाएं कुछ रंग
विपत्तियों का सामना हंसकर करूंगी,
मैं सारी जिम्मेदारियाँ उठाऊंगी।
जीवन की राह में चाहे हो कितने भी कांटे,
चुनौती से डर कर पीछे नहीं हटूंगी,
हर मोड़ पर मैं नये दीप जलाऊंगी,
मैं सारी जिम्मेदारियाँ उठाऊंगी।
समय चाहे कैसा भी हो
हर बाधा को जीतकर,
अपने लक्ष्य को पाऊंगी,
मैं सारी जिम्मेदारियाँ उठाऊंगी।