(भारत के इतिहास से लेकर वर्तमान तक, नारी-शक्ति ने हर क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। भारतीय समाज, में नारी ने अपने साहस, संघर्ष और बलिदान से नई राह बनाई। चाहे वह पौराणिक कथाओं की सीता और सावित्री हों, या फिर आज की वैज्ञानिक, खिलाड़ी और नेता, हर युग की नारी ने समाज को अपने योगदान से समृद्ध किया है।
इस कविता में उन महिलाओं की गाथा हैं , जिन्होंने अपने बलिदान, तप और साहस से न केवल भारतीय संस्कृति को गौरवान्वित किया, बल्कि पूरी मानवता को प्रेरणा दी। यह कविता प्राचीन युग की नायिकाओं से लेकर आधुनिक भारत की जीवंत महिलाओं तक के योगदान को एक सूत्र में पिरोती है ।
इस कविता का उद्देश्य न केवल उन महिलाओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना है, बल्कि समाज को यह संदेश देना है कि नारी केवल सृजन का आधार नहीं है, बल्कि वह हर कठिनाई से लड़कर आगे बढ़ने का प्रतीक भी है। यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हम नारी के हर रूप का सम्मान करें और उसकी शक्ति को पहचानें। )
सीता ने अग्नि-परीक्षा सही,
धर्म के लिए चुपचाप रही।
राजधर्म का बोझ उठाया,
स्वाभिमान का दीप जलाया।
द्रौपदी ने अपमान सहा,
सभाओं में जो न्याय बहा।
शब्दों के बाण सहे उसने,
फिर भी धर्म-युद्ध का बीज बोया उसने।
अहिल्या बन गई पत्थर की,
पर सतीत्व की गाथा कहती।
राम के स्पर्श से जागी वह,
नारी के सम्मान की भागी वह।
सावित्री यम से भिड़ गई,
पति के जीवन की लौ जला गई।
सत्य, समर्पण और प्रेम से,
काल के चरण भी हिला गई।
पद्मावती ने जौहर किया,
मर्यादा का दीप प्रज्वलित किया।
स्वाभिमान की चिता जली,
नारी-शक्ति अमर हो चली।
लक्ष्मीबाई ने तलवार उठाई,
अंग्रेजों से लोहा लाई।
वीर गति को प्राप्त हुई,
भारत-माता की गाथा लिखी।
मीरा ने भक्ति का रंग भरा,
प्रेम में कृष्ण का संग करा।
त्याग और तपस्या की मूरत बनी,
नारी-भक्ति की परिभाषा बनी।
अनुसूया ने सत्य का दीप जलाया,
पतिव्रता धर्म का मान बढ़ाया।
त्रिदेवों को भी मार्ग दिखाया,
नारी के साहस का यश गाया।
गार्गी ने ज्ञान की गंगा बहाई,
वेदों की बातों को जन-जन तक लाई।
शास्त्रार्थ में ऋषियों को हराया,
विद्या से नारी का गौरव बढ़ाया।
झलकारी बाई ने शौर्य दिखाया,
लक्ष्मीबाई का साथ निभाया।
युद्धभूमि में वीरगति पाई,
स्वतंत्रता की अलख जगाई।
कल्पना चावला ने आकाश छूआ
सपनों को सच करने का पाठ दिया।
गगन के पार झंडा फहराया,
भारत की बेटी ने मान बढ़ाया।
लता मंगेशकर ने सुरों का संसार रचा,
हर दिल को अपने गीतों से बसा।
संगीत की देवी बन अमर हो गईं,
नारी की कला को ऊंचाई दे गईं।
मिताली राज ने क्रिकेट में धाक जमाई,
खेल की दुनिया में नारी की पहचान बनाई।
हर चौके-छक्के से यह बताया,
नारी कुछ भी कर सकती है, यह समझाया।
मैरी कॉम ने मुक्कों से पहचाना
हर हार में भी जीत को सजाना।
मां होकर भी सपना पूरा किया,
दुनिया के सामने साहस दिखाया।
फाल्गुनी नायर ने बिजनेस में नाम कमाया,
नायका का ब्रांड बनाकर ये दिखाया।
सपनों की उम्र नहीं होती है,
सफलता हर संघर्ष से होती है।
गीता गोपीनाथ ने अर्थशास्त्र चमकाया,
IMF में भारत का मान बढ़ाया।
गणित और तर्क से दुनिया को जीता,
नारी की बौद्धिक शक्ति को सजीव किया।
इनके बलिदानों की पावन गाथा,
समर्पण, साहस और प्रेम की परिभाषा।
हर युग में नारी ने दिखलाया,
कि वह सृजन का आधार कहलाया।
आज भी वह इतिहास बनाती है,
समाज की जंजीरें तोड़ जाती है।
अपनी ताकत से नई राह दिखाती है,
नारी हर युग में प्रेरणा बन जाती है।
आओ करें इस शक्ति का सम्मान,
नारी के हर रूप का रखें मान।
उसके बलिदान को समझें, सराहें,
और इस जग में समानता फैलाएं।