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सृष्टि की रचना का अद्भुत अंश हैं स्त्री
करूणा व शक्ति की प्रतिमा हैं स्त्री
दुःखों में स्नेह का संगम हैं स्त्री
जीवन की वेदना में संवेदना हैं स्त्री
अचल स्थायित्व की झलक है स्त्री,
कठिन राह में मुस्कान की छाँव हैं स्त्री
समर्पण की मिसाल है स्त्री,
सुख-दुख के सफर में सहारा है स्त्री
साहस की उड़ान है स्त्री
सफलता की चोटी पर खड़ी हैं स्त्री
दरिया की लहरों से टकराती है स्त्री
सामर्थ्य से किनारों पर पहुंचती हैं स्त्री
समाज के परवाह बिना आगे बढ़ती है,
संघर्ष के बावजूद अड़ी रहती है।
कर्म और साहस के साथ संवरती है,
दुर्बलता को दूर भगाकर विजयी बनती है।
स्त्री की महानता को समझो,
सम्मान दो, स्नेह से बढ़कर प्यार दो।
सृष्टि के संतुलन की रक्षक है स्त्री,
समाज की समृद्धि का द्वार हैं स्त्री।