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वाह रे इंसान !
घर में निकला चूहा , दवा डाल मार गिराया
मंदिर में माटी के चूहे को अपना दुखड़ा बोल आया
बच्चे मांगे खिलौने , माँ-बाप ने डाँट दिया
मंदिर की पेटी में जा कर दिल खोल कर दान किया
हर हर कर गंगा में, सब पाप धो आया
वही से धोये पापों का, पानी भी अमृत मान भर लाया
माटी की मूरत से अपनी ज़िन्दगी की भीख मांग आया
उसी मूरत के सामने जानवर बेज़ुबान काट आया
ज़िन्दगी भर कौवे को अशुभ जो मानता चला
उसी कौवे को मरे माँ बाप मान भोजन करा आया
वाह रे इंसान तेरी समझ , मेरी समझ में तो बिलकुल नहीं आया.....

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