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एक तेरे उम्मीद की खातिर सब कुछ छोड़ आया हु मां,
मैं जिंदगी में इतनी दूर तुझसे आया हु मां,
वो तेरी रोटी और थाली से दूर आया हु मां,
मैं जिंदगी में इतनी दूर तुझसे आया हु मां।।

कहते है वक्त कब पलट जाए पता नही चलता,
बच्चे कब बड़े हो जाए पता नही चलता,
तेरी आवाज सुनने को अब हम तरस जायेंगे मां,
फोन पर ही अब तुझसे मिलकर आंसू बरस जायेंगे मां,
सिर्फ बेटियां ही नही बेटे भी रोते है,
यूं ही नही ये घर छोड़कर शहर में होते है।।

हॉस्टल का माहौल घर से अलग था
हर शख्स यहां हमसे अलग था,
अब देख नही पाएंगे तुझे हर दिन मेरी मां,
वीडियो कॉल पर भी नही आयेगा दिल को चैन मेरी मां,
तू चिंता मत करना मैं जल्दी घर आऊंगा मां,
लेकर आऊंगा खुशियों की पूरी रेल मेरी मां, रेल मेरी मां।

कहने लगा हु अब झूठ तुझसे थोड़ा थोड़ा मेरी मां,
एक तेरी खुशी की खातिर ही बोलता हूं झूठ मेरी मां,
दूर जाते हुए बच्चो पर ही सिसक जाती है मां,
जरा सा जुखाम होने पर ही उचक जाती है मां,

संभलने लगा हु यहां कुछ कुछ अब मेरी मां,
यहां के माहौल में ढलने लगा हु अब मेरी मां।।
घर जाने पर...
घर पहुंचते ही चेहरे पर मां के रौनक आ जाती है,
जब मेरी बस दरवाजे पर आकर रुक जाती है,
लगाकर गले से मुझको वो आंसू बहा जाती है,
बनाकर पकवान तरह तरह के मेरा दिल रुझा जाती है,
जाते है जब हम छुट्टी के बाद हॉस्टल की और,
मां अंदर से ही जाती है एकदम भाव विभुर, भाव विभुर,
पहुंचकर फोन करना तुम्हारा घर से याद आता है मां,
सच कहूं तो हॉस्टल पहुंचकर मुझे घर याद आता है मां,

है जननी है बड़ा कोई दूसरा नही संसार में,
एक ईश्वर ही है इस मां के अवतार में अवतार में।

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