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महिला स्वयं में ही पूर्ण है आत्मविश्वास से भरी हुई है
साधारण लगती है लेकिन होती खास है
पुरुषों की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखती है
रहती इंसान रूप में लेकिन वक्त आने पर
देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी और कभी कभी अपनी
ओर परिवार की इज्जत बचाने को चंडी भी बनती है
ममता और प्रेम से भरी रहती है
परेशानियों में टूटती नही वरन साथी के साथ दे
वक्त बेवक्त उसको भी संभालती है
दिमाग से सरस्वती, ग्रस्थी संभालने मैं लक्ष्मी बन
उन्मुक्त भी रहना चाहती है
दिखती नाजुक है लेकिन
गलत पर मजबूती से लड़ना भी जानती है
खुशकिस्मत हूं कि मैं भी एक महिला हूँ
महिला सजने, संवरने खुद को आधुनिक रखने के साथ
अपनों को भी ख़ुश रखना जानती हैं
हां मानती हूं उम्मीदें कुछ ज़्यादा हैं हम महिलाओं की
क्योंकि वो हर कसौटी पर खरा रहना चाहती हैं।
लेकिन ये भी सच है आज की जो महिला हर कसौटी पर खरी नहीं
वो अन्यथा ही पुरुषो की बराबरी करती है
पहले अपनी जिम्मेदारियों की हर कसौटी खरी करो
फिर पुरुषो के हिस्से से कुछ उम्मीद करो
परफेक्ट महिला होना हमारे लिए सबसे बड़ा सम्मान है
हम ही है जो मां, बेटी, बहु, सास, दादी नानी और नजाने
कितने रिश्ते निभाते है, हां मुझे गर्व है एक
महिला होने पर।

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