आओ स्वदेशवासी ये पर्व हम मनाएं,
कुर्बान हुए वीरों पे गर्व हम मनाएं।
ऊँची रहे ये आन बान शान सदा माँ की,
याद करें दिल से उन्हें शीश हम झुकाएं।।
अपने वतन के खातिर जो फर्ज निभाते हैं,
ये रँग तिरंगे के बलिदान दिखाते हैं।
यूँ ही नहीं तो पाई,आजादी ऐसे हमने,
लहू पसीना देना ये वीर सिखाते हैं।।
जिनके डर के आगे,दुश्मन के सर हैं झुकते,
आगे कदम बढ़ाते,नहीं मुश्किलों में छुपते।
गुलशन में बहारें भी हैं जिनके दम से होतीं,
सहते चुभन शुलों की,सौ संकटों में हँसते।।
वीरों की जन्मभूमि विदुषी हुई बालाएँ,
आये जो आन पे तो,ये बन गई ज्वालाएँ।
मिटाएं भेद मन के, हो संस्कृति की रक्षा,
आओ सभी हम मिलके नेहदीप हैं जलाएं।।
अपना यही हो सपना,उन्नत हो देश अपना,
इस कर्मभूमि में तो,सबको पड़ा है तपना।।
ऊंचा हो तिरंगा ये,आओ सभी फहराएँ।
कुर्बान हुए वीरों पे गर्व हम मनाएं
आओ स्वदेश वासी ये पर्व हम मनाएं।