Image by Mohamed Hassan from Pixabay वह कौन है जिसके दिल में देखो इतनी नफरत भर आई है।
स्वर्ग सी धरती पहलगाम में जिसने इतनी कहर मचाई है।
क्यों पत्थर से दिल है उनके क्यों उसने इंसानियत गंवाई है।
वह कौन है जिसके दिल में देखो इतनी नफरत भर आई है।।
नादानों को मार रहे हैं ,परिवारों को दाग रहे हैं।
खौफ नहीं है उनको किसी का ,अपनो को ही मार रहे हैं।
वतन की माटी शर्मसार है आतंक ने कैसी विपदा ढाई है।
वह कौन है जिसके दिल में देखो इतनी नफरत भर आई है।।
निर्दोषों को मार कर क्या मिलती है इनको जीवन की खुशियां?
रह गई है क्या हत्याओं में ही सिमटी आतंकवादों की दुनिया।
धर्म- अधर्म का खेल ,खेल कर सबके सुख में आग लगाई है।।
वह कौन है जिसके दिल में देखो इतनी नफरत भर आई है।
इंसानियत संस्कारो से बेखबर हो रही है , दुनिया न जाने कहाँ खो रही।
भगवान का डर न रहा अब , आतंकी हरकते हो रही।
सत्य -अहिंसा , धर्म की कैसी हो रही देखो तो रूसवाई है।
वह कौन है जिसके दिल में देखो इतनी नफरत भर आई है।
न जाने कैसी उन्होंने शिक्षा पाई है निकले हरजाई है ।|
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