वीरों में तू वीर महान, मेवाड़ की तू शान था, हल्दीघाटी की रणभूमि में, रण का तू पहचान था। घोड़ा चेतक साथ था, जैसे प्राणों की लड़ी, धर्म, स्वाभिमान की खातिर, तूने हर पीड़ा सही।
अकबर जैसा सम्राट भी, तुझसे थर-थर काँप उठा,
झुका नहीं तू ज़ालिम के आगे, चाहे जीवन क्यों न लुटा।