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आज भी समय अपनी मांग करता हैं,
गीता जी में छिपे हैं जो गूढ़ रहस्य,
कैसे हो जीवन शैली हर मानव की,
इस गीता जी का अध्ययन करने से,
उसका पता चलता है,
गीता जी औषधि की तरह भी करती जो अपना काम हैं,
रहन सहन, खान पान आदि के बारे में भी देती जो अपना ज्ञान हैं,
चिंतन का अब ये विषय,
है क्यों जरूरत गीता जी की आज सभी को,
इस पर कुछ चिंतन करते हैं,
जब हुआ युद्ध महाभारत का,
तब अर्जुन असमंजस में था,
क्या करूं ,कैसे करूं, मुझसे नहीं होगा,
ये प्रश्नों को मन ही मन वो दोहरा रहा था,
जब रखी उसने अपनी शंका श्री कृष्ण जी के सामने,
तो क्रम से श्रीकृष्ण जी ने उसको गीता जिनका ज्ञान दिया,
समझो पार्थ तुम इस रहस्य को,
एक एक प्रश्न को श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन को समझा दिया,
घबराने लगे जब अर्जुन तब श्रीकृष्ण जी अपना दैवीय रूप उसको दिखा दिया,
मेरी ही प्रेरणा से हो रहा हैं ये सब,
तू तो सिर्फ निमित मात्र हैं,
और अंत में जब बोले श्रीकृष्ण भगवान सबको छोड़ मेरी शरण में आ जा,
तब अर्जुन को पूर्ण निश्चय हुआ,
इस तरह हम भी कभी कभी परिस्थिति के अधीन हो घबरा जाते हैं,
तब अगर आ जाए याद की ये हो रहा सब उसके ही आदेश से हैं,
तो होगी नहीं हमें घबराहट,
ओर श्रीकृष्ण जी का ले आश्रय आगे बढ़ जायेगे हम।

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