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है इंतजार दुनियाँ को तेरी तू अब आजा।
अनंत यह दुनियाँ तेरी कहाँ छुपा बता जा।
अपनी चितवन से क्यों लुभाया है मन मेरा।
प्रेम को अपने दिल में तू बसा है इंतजार तेरा।।

जन्म मिला है एक बार फिर नहीं मिलता।
कोई मुसाफ़िर राहगीर आकर नहीं मिलता।
दिलवर जो आये पास तेरे गले से लगा ले।
अकेला न छोड़ दुनिया में है इंतजार तेरा।

वक्त एक सा कभी नहीं रहता है किसी का।
कभी आगे तो कभी पीछे चलता है सभी का।
समय जब साथ देता है तो मंजिल पास होती,
समय के फेर में फंस जाये तो है इंतजार तेरा।

कितने कांटे मिलेंगे मार्ग में पार करते जाना।
हर घड़ी नया इम्तिहान है पास करते जाना।
ख्वाबों को बुना जिसने उसे पूरा ही करना है।
समय की तलाश है तो है क्यों इंतजार तेरा।।

ग़ज़ल कहानी कविता को मै लिखती रही।
यादों के साथ तेरे में हरदम ही जीती रही।
दुनियां में बढ़ रहा अनाचार आकर मिटा दो,
सुदर्शन उठा आज आ जाओ इंतजार तेरा।

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