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जिंदगी मिली है तो जीवन जीना भी एक कला है,
यहीं स्वर्ग तो यहीं नर्क भी भोगना ही लिखा है।
जीवन जीने के लिए याद रखें बस दो मूल मंत्र है,
जीवन की खुशियां खुद के संग तो यहीं बस मौन है।
सुबह नित उठ कर व्यायाम और कुछ नया सिखा है,
पक्षियों के लिए पानी तो चिड़ियों से बातें करना है।
पहला काम मंदिर जाकर चरणों को समर्पित करना है,
लेकर आशीर्वाद अपने काम की और वापिस लौटना है।
प्रतिदिन अपने को अच्छा बनाने की और अग्रसर रहना है,
न किसी की बुराई न किसी की बातों को दिल पे लेना है।
मौन और मुस्कान के संग जीवन में करना सवेरा है,
जिन चेहरों पर अंधेरे है उनके जीवन में उजाला है।
जीवन जीना आसान नहीं पर जीवन फिर भी जीना है,
खुद के विचारों से लोगों के जीवन में रंग भी भरना है।

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