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ना मैं भिक्षुक हूँ,
ना मैं इच्छुक हूँ,,
मैं तप त्याग बलिदान का परिचायक हूँ,
हाँ मैं नये युग का नया नायक हूँ।।
युग प्रवर्तक युगांतरकारी युगों-युगों से मैं ही हूँ,
कहीं भोग में, कहीं मोह में तो कहीं मायाधारी हूँ,,
आत्मा का उजाला एकात्मा हूँ मैं,
जीवों में जीवित जीवात्मा हूँ मैं,,
युगों-युगों से मैं ही तो सुखदायक हूँ,
हाँ मैं नये युग का नया नायक हूँ।।
अपने हृदय को स्पर्श करो फिर बादलों के पार देखो,
ऐ होश वालों पहले बेहोशी त्यागो फ़िर दर्शन पाओगे,
कब से था मैं ख़ुद को ढूंढ रहा,
अब पाया है तो आँखें मूंद रहा,
शांति सौहार्द का मैं ही तो दाता दायक हूँ,
हाँ मैं नये युग का नया नायक हूँ।।
काल अकाल भव बंधन से मुक्त हूँ मैं जीवन चक्र,
दसों दिशाएँ दिग दिगम्बर से रहित सृष्टि का नाद हूँ,
ज़मीं हो या आसमां मै कहाँ कहाँ नहीं,
फ़ूल पौधे चाँद तारे रुप सबमें मेरा हसीं,
शुभता का प्रतीक शुभ फलदायक हूँ,
हाँ मैं नये युग का नया नायक हूँ।।
सत्य सदाचार सत्कर्मों का मैं आज़ाद अनुयायी हूँ,
झूठ छल पर प्रपंच को सदा से ही दंडित करता,
कि भवसागर पार कर तर आया,
कि पुनः मैं अपने ही भीतर आया,
कर्म प्रधान कर्ता का सहायक हूँ,
हाँ मैं नये युग का नया नायक हूँ,

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