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माँ की महिमा मैं क्या कह दूं, शब्द कोष न शब्द मिला है।
परम पिता की अनुपम रचना, सृष्टि का शुभ सुमन खिला है।

हर दिल को भा जाने वाली, तरल तरन्नुम गजल है माँ।
देखी तुम पर दुख की बदली, हुई आंख वह सजल है माँ।

माँ एक ऐसा इन्द्र धनुष है, जिसमें सब रंग सम्मिलित होते।
माँ सुमनों का अजब चमन है, सब सुगन्धमय सौरभ होते।।

बच्चों का गम हृदय छुपा कर, हरदम हसती वह हस्ती माँ।
ममता का अनमोल खजाना, हरदम हरपल हरसाती माँ।

सागर सी गम्भीर गगन सी, अति विस्तृत आंचल वाली माँ।
सुमनों से पूत सपूतों की, शुभ वन उपवन वाली माली माँ।

स्वर्ण से श्रेष्ठ स्वर्ग से बढ़कर, ऐ अजब गजब धनवान है माँ।
सच्ची सद् मति गति दात्री धात्री , इस सृष्टि की भगवान है माँ।

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