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जिस मिट्टी ने लहू पिया, वो फूल खिलाती जाएगी।
कांटों के संग में रह-रह कर फूलों सी अपनी खुशबू से हर आंगन को महकाएगी।।देखकर खिल जायेगा सबका मन अपने आकर्षण से हर दिल में जगह बनाएगी।खिलती धूप सी मुस्कान को पाकर सबके जीवन को रोशन वो बनाएगी।।
शुद्ध हवाओं में लहरा कर अपने सौंदर्य से सबके मन को लुभाती जाएगी
लचकती डाली सा इठलाकर घने तूफान आँधियों से लड़ती जाएगी।।
ओढ़ ओस की चादर तन पर हर गम को अपने आँसुओं से धोती जाएगी।
खड़ी अकेली खिलते फूल सी आँगन में सोच-सोच कर