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शाम इक दीप जलाते तो अच्छा होता।
तुम मुझे मीत बुलाते तो अच्छा होता।
तुम मुझे मीत बुलाते...
मेरा मकान भी तुम्हारे शहर की जद में है।
कभी तशरीफ मेरे घर लाते तो अच्छा होता।
तुम मुझे मीत बुलाते तो अच्छा होता ...
तुम्हे जाना ही था तो चले जाते लेकिन,
आहिस्ता आहिस्ता जरा जाते तो अच्छा होता।
तुम मुझे मीत बुलाते तो अच्छा होता...
इक मासूम सी हसरत थी दिल की मेरे,
मेरे साथ इक तस्वीर खिंचाते तो अच्छा होता।
तुम मुझे मीत बुलाते तो अच्छा होता ...
इक दफा और कभी इक मुलाकात हो।
इक दफा और गले लगाते तो अच्छा होता।
तुम मुझे मीत बुलाते तो अच्छा होता...
दिल को इक आइना पसंद आया।
काश तुम उसमे नजर आते तो अच्छा होता।
तुम मुझे मीत बुलाते तो अच्छा होता||

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