आज हम आपसे बात करना चाहते हैं डिप्रेशन पर कि ये है क्या आखिर...???
आज कल तो हर दूसरा व्यक्ति बोलता कि बहुत डिप्रेशन में हूं यार....
कई लोगों के पास अपनी प्रॉब्लम्स शेयर करने के लिए अपने लोग या अपने मित्र नहीं होते हैं जिससे वो डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं , तो कई लोगों के पास अपने होते हैं लेकिन वो डिप्रेशन के चलते उन्हें अपना महसूस ही नहीं कर पाते हैं, जिससे खुद को अकेला पाकर गलत कदम उठा लेते हैं...
आपसे मैं अभी जो कुछ भी बताना चाह रही हूं, बस आप उसे महसूस कीजिएगा और अपनी लाइफ की past और present की प्रॉब्लम्स से compare कीजिएगा, क्योंकि मैं कोई सैकेट्रिस्ट नहीं हूं, मैंने भी खुद की और आस पास के लोगों की situations को महसूस करके ही समझा है....
डिप्रेशन जो है ना वो एक प्रकार की उदासी है, जिसमें कुछ भी अच्छा ना लगकर और भीड़ - भाड़ से दूर रहकर अकेले में रहना अच्छा लगने लगता है, और लोग चाहकर भी खुश नहीं रह पाते हैं, धीरे - धीरे अकेले रहकर मन में अजीब से सवाल और खुद ही उसके जवाब आने लगते हैं, जिससे उसके कुछ सिम्पटम्स भी दिखते हैं, जैसे - सिर दर्द, अंदर से बुखार महसूस होना, थकान रहना, कोई भी बात बहुत जल्दी भूलना और बात - बात पर गुस्सा आना....
पर हम लोग इसे हल्की - फुल्की बीमारी समझ के डॉक्टर्स को दिखाते हैं और वो तो सही हो जाते हैं, पर डिप्रेशन की जड़ को ना ही पकड़ पाते हैं और ना ही खत्म कर पाते हैं, जिससे डिप्रेशन हम लोगों पर हावी होने लगता है...
अगर हम लोग देखें तो ऐसे कई examples होते हैं हम लोगों के आस - पास ही....
आजकल अगर देखा जाए तो १४ से ४० साल के बीच की उम्र के लोग ही अक्सर डिप्रेशन में आकर गलत कदम के शिकार होते हैं और ४० की उम्र से ज्यादा के लोगों में डिप्रेशन कम देखने को मिलता है...
देखते हैं हम, इन लोगों की क्या स्थितियां बनती हैं आखिर डिप्रेशन में आने की...???
१४ से २३ साल की उम्र के बच्चों का ब्रेकअप हुआ तो उसकी टेंशन और साथ में घर वालों से डर की टेंशन और जब जिंदगी में ये सब चल रहा होगा तो पढाई तो वैसे भी गड़बड़ होगी तो इसकी भी टेंशन....
२३ से ४० साल की उम्र के सबसे ज्यादा केस सुनने में आते हैं suicide के, क्योंकि यह वही उम्र है, जिसमें लोगों पर एक ना एक बार डिप्रेशन हावी जरूर होता है, क्योंकि उस समय आपका बुरा वक़्त आपके धैर्य की परीक्षा ले रहा होता है, क्योंकि इस उम्र में आपके कन्धों पर कई प्रकार की जिम्मेदारियां होती हैं, जैसे - कैरियर को लेकर, शादी को लेकर, आर्थिक स्थिति को लेकर और तो और जिनके पास पॉवर और पैसा सब कुछ होता है तो वो अपनी शादीशुदा जिंदगी से परेशान होते हैं, इसका उदाहरण तो आप सभी लोग भी देखे होंगे जो एक आईपीएस ने सुसाइड अटेम्प्ट किया था, इतना समझ लीजिएगा कि अगर किसी के भी माइंड में जिन्दगी समाप्त कर लेने से रिलेटेड विचार आ रहे हैं वो कहीं ना कहीं डिप्रेशन में ही होता है....
और कुछ हम जैसे लोग भी होते हैं, जो खुद की प्रॉब्लम्स से डिप्रेशन में नहीं आते, दूसरों की प्रॉब्लम्स देखने के बाद चाहकर भी उनकी हेल्प ना कर पाने से उनकी प्रॉब्लम्स को सोच सोच कर डिप्रेशन में आ जाते हैं...
पता है, ये सब सुनकर आपको लगेगा कि ये सब बहुत छोटी - छोटी प्रॉब्लम्स हैं, इनसे कोई कैसे डिप्रेशन में आ सकता है, लेकिन आप महसूस कीजिएगा इनको कि क्या आप इन सब छोटी - छोटी बातों को लेकर दिन - रात परेशान नहीं रहते हैं...??
महसूस कीजिएगा आप लोग....
हम लोग बार - बार यही सोचते हैं - यार जो कुछ भी सोचते हैं वैसा कुछ हो ही नहीं रहा है, अब क्या करें जिन्दगी में...?
यही सब सोच - सोच कर मन उदास रहने लगता है और आलस्य से घिर जाते हैं, और अपनों से बात करने का भी मन नहीं करता... फिर एक समय ऐसा आता है जब ये महसूस होता है कि अब जिन्दगी में कुछ बचा ही नहीं है यार, जिसके लिए या जिस उद्देश्य को हासिल करना था उससे तो बहुत दूर हो गए हैं, अब क्या कहेंगे लोग... ऐसे ही नेगेटिव प्वाइंट्स माइंड में घूमते रहते हैं और एक दिन इंसान इन सबसे बचने के लिए उल्टे - सीधे कदम उठाता है या फिर पागल ही हो जाता है।
पता है, आप लोग भी बच सकते हैं डिप्रेशन जैसी घातक बीमारी से... बस आपको अपने स्वभाव में कुछ परिवर्तन लाना होगा, फिर किसी दवाई की जरूरत नहीं पड़ेगी आपको.... कारण तो बहुत सारे होते हैं डिप्रेशन में आने के लेकिन इससे उबरने के लिए कुछ प्वाइंट्स ही आपको अपने माइंड में रखने होंगे हमेशा... जैसे -