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सावन का महीना चल रहा है चारो तरफ बहार ही बहार है, हरियाली देखकर मन प्रसन्न हो गया है | हमारे यहां तो इतनी बारिश हुई है कि चारो तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है बस मन को और क्या चाहिए? इतनी हरियाली और खूबसूरती देखने के बावजूद भी मन के एक कोने में गहराई से एक बात बैठी हुई है जो कि इस गर्मी हमने गौर किया!
पिछले पाँच सालों के विश्लेषण की बात करे तो मैंने ये परिणाम पाया है कि गर्मी मे हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के छोटे से कस्बे जो कि पहाड़ी इलाक़ा है वहाँ बचपन से पली बढ़ी मैं बचपन में जब भी उत्तरप्रदेश स्थित अपने नानी के घर जाती तो वहां की गर्मी मुझे असहनीय हो जाती कारण पहाड़ी कस्बे की लड़की उत्तरप्रदेश के मैदानी इलाक़ों की गर्मी कहा सह पाएगी?
हमारे कस्बे में पंखे की जरूरत सिर्फ मई महीने में होती थी बाकी समय यहां बारिश से छायी हरियाली ही दिखाई पड़ती, यहां की आबादी की बात करे तो यहाँ आबादी भी ज्यादा नहीं हुआ करती थी | सबकुछ अच्छा चल रहा था बस एक झटका तब लगा जब 2023 मे नानी के घर जाने के बाद मुझे उत्तर प्रदेश की गर्मी और अपने कस्बे की गर्मी मे ज्यादा फर्क़ नहीं लगा! हमारे छोटे से कस्बे जो कि एक सुनसान इलाक़ा हुआ करता था आजकल वहाँ बड़ी बड़ी बिल्डिंग नजर आती है, जहां की सड़कों पर अब रात मे भी वाहनों का कोलाहल होता है | अब ऐसा लगता है जैसे ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जो कुछ भी स्कूल मे पढ़ाया गया था वो सब आँखों के सामने प्रत्यक्ष घट रहा हो! इसके कुछ उदहारण मैं आप लोगों को अपनी गर्मी के मौसम के अनुभव से देती हूँ |
बचपन की बात करे तो हमारे कस्बे मे कभी भी तापमान 30° से उपर नहीं गया मई के महीने में भी, पिछले पाँच वर्षों से हमारे घर का कुआं जो कि वर्ष भर पानी से लबालब भरा हुआ रहता था अब वो अप्रैल माह से ही सूखने लगता है! एक पहाड़ी कस्बे में अब अप्रैल मे ही तापमान 40° पहुँच जाता है आप सब खुद सोचिए एक छोटे से पहाड़ी कस्बे का जब ये हाल है तो फिर बड़े बड़े महानगरों का क्या होगा? मेरा आप सभी पाठकों से यही प्रश्न हम गरमी के मौसम में इतनी परेशानी सहते है कभी पानी की कमी तो कभी ऐसी गर्मी जो जान निकाल कर रख दे पर हम सबने आजतक इससे सीख ली क्या?
हर साल गर्मी के मौसम में हाय हाय करने वाले व्यक्ति को जब पानी व्यर्थ करते और पर्यावरण का दुरूपयोग करते हुए देखती हूँ, मन बहुत दुखी होता है क्या हमने अब तक सीख नहीं ली है? और सोचने वाली बात है अब नहीं तो कब? कब हम सीखेंगे अपनी गलतियों से?
मैं अपनी बात करूँ तो मैंने अपने अनुभवों से सीख ली है, जब गर्मी के मौसम में मुझे गर्मी लगी तो मैंने तय किया हम इस बरसात पेड़ लगाए यकीन मानिये पेड़ हमारे बहुत अच्छे मित्र होते हैं एक बार अपने आँगन मे इन्हें जगह देकर तो देखिये! इसके बाद मैंने सीखा है पानी बचाना गर्मी मे पानी की किल्लत देखकर समझ आ गया ये कितना कीमती है "जल ही जीवन है" वाली कहावत अब समझ आयी है इसलिए पानी बचाने के कई तरीके हैं जिनका जिक्र अगले लेख में जरूर करूंगी, और सबसे आखिरी सीख दोस्तों हम कहीं जाते हैं तो ज्यादातर कोशिश करे कि आप पैदल ही जाए इससे सेहत भी अच्छी रहेगी और पर्यावरण भी | दोस्तों, अगर हम अपने अनुभवों से सीखे तो ये धरती एक बहुत ही खूबसूरत जगह है रहने की स्वर्ग कहीं और नहीं हमारी धरती ही है! इसलिए आइए हम सभी अपने छोटे छोटे अनुभवों से सीख लेकर अपनी धरती को फिरसे खूबसूरत बनाए |