आती हैं कि जाती हैं की
जाती हैं की आती हैं।
नैन - नैन थककर
खोए जब से हम तो चैना
बोले जो ही मेरे नैना
नैना जो लड़ाती हैं
कि नैना जो लड़ाती हैं ।
रस्ते में देखो जैसे फूल खिल आए हैं
शिकवे शिकायत जैसे भर - भर आए हैं।
जहाँ - तहाँ ,यहाँ - वहाँ ढूँढा तुम्हें कहाँ - कहाँ।
छिपते - छुपाते हुए अपना बताते हुए
अपना बनाती है ,अपना बनाती है।
खोए जब से हम तो चैना
बोले जो ही मेरे नैना
नैना जो लड़ाती हैं
कि नैना जो लड़ाती हैं ।
सावरी सुरतियाँ के भाग खिल आये हैं
मोहनी मुरतिया के संग चले आए हैं।
चंदा के चंचल, शीतल - शीतल
रश्मि सी ,गरम की, शर्म के बेशर्म सी
तू तो बलखाई हैं, तू तो बलखाई हैं।
खोए जब से हम तो चैना
बोले जो ही मेरे नैना
नैना जो लड़ाती हैं
कि नैना जो लड़ाती हैं ।
तू तो मेरे भाग मे, जैसे राग - राग मे
सोना जैसे जलता हूँ ,तेरे आग - आग मे।
उलझो न देखो जैसे वाद जो विवाद मे
मै तो तेरा चंदा हूँ, चकोर जैसे मेरी हो
इंतजार सही भी न ही कुछ देरी हो।
अनुपम उपवन , तीव्र जैसे घन - घन
सावन बुलाती हो ,सावन बुलाती हो।
खोए जब से हम तो चैना
बोले जो ही मेरे नैना
नैना जो लड़ाती हैं
कि नैना जो लड़ाती हैं ।