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मेरा प्रेम हैं तेरी चितवन
तेरे रँग एहसास।
कुछ उजले हैं, कुछ गहरे हैं
प्रेम - मिलन के खास।

आज पुरानी यादें ताजा
करने आया हूँ जो साथ।
क्या हैं भरोसा, इन आँखों का
थाम लिया जब तेरा हाथ।
मन भी चंचल, रँग सुनेहरा
लगता नहीं हैं ये आभास।
कुछ उजले हैं, कुछ गहरे हैं
प्रेम - मिलन के खास।

मेरे मन ने तुमको चुना हैं
तुम्हारा चुनना कैसा हैं।
पर मुझको भरोसा तुम पर बहुत हैं
मेरा प्यार जो जैसा हैं।
मेरे लहू के रग- रग मे जो
बहती जाए वो एहसास।
कुछ उजले हैं, कुछ गहरे हैं
प्रेम - मिलन के खास।

कुछ भी कहेगा सारा जमाना
फिर भी तेरे पास जो आना।
मैंने माना, तुमने माना
आ ही चुके तो क्या शर्माना।
अपना सा हैं वो क्षण -क्षण भी
दबी हुई जो वो हैं प्यास।
कुछ उजले हैं, कुछ गहरे हैं
प्रेम - मिलन के खास।

हम जो मिले थे, तुम जो मिले हैं
आस कहीं से कितने गिले थे।
मै भी आया, तुम भी आई
फिर भी कहीं पे फूल खिले थे।
इसी से पाया कुछ भी सारा
ये कैसा जो हर्षोल्लास।
कुछ उजले हैं, कुछ गहरे हैं
प्रेम - मिलन के खास।

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