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यह बात है बचपन की सुनना थोड़ा घोर से, 
जब मै खेलती-दोडती थी, बाबा  झूम उठते मेरे शोर से। 
पढ़ाई मै कुछ खास नही था उनका मन्न पर हमेशा मुझे पढ़ाने के लिया तैयार रहता उनका तन। 
जब मै कुछ मानगु तो सारा घर भर देते थे कपड़े
और जब मेरा भाई मांगे तो कहते है क्यों करता है नखरे? 
कभी अपने लिए कुछ ना करते, 
बस तीजोरी मै लाकर पैसे भरते। 
वह खुद दुःख रहते थे पर हमेशा
हमको सुख देते थे। 
मुझे गाड़ी चलाने का शौक है बहुत, 
पर बाबा हवाई जहाज उड़ाने को कहते है अधबूत।
आरे ये चंद, तारा क्या है? 
मेरे पास  तो सरा आसमान है। 
चओठ मुझे लगती थी, 
दर्द वो महसूस करते थे। 
बुखार मुझे आती थी, पर रात भर सरहने वह बैठेते थे। 
जिसको सारा जीवन गले लगाकर पाला, 
आज उसी से आखरी बार लग रहे है गला। 
मेरा सारा जीवन फूलों की तरह सजाया और 
आज कांटे पर चलने के लिए छोडदिया। 
बाबा कितना भी कहूँ आप के लिए कम है, 
क्योंकी आपकी हर बात मै दम है। 
धन्यवाद आपके सभी बलिदान के लिए, 
धन्यवाद आपके साथ के लिए और
धन्यवाद मुझ भगवान से आपकी बेटी बनाने के लिए।। 

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