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जननी स्वरूप अजन्मा का
जन्म स्वरूप हैं ये नारी।।

देव द्वारा पूजनीय और
हर मानव से सम्मानित की जाती
रही हैं ये नारी।।

देवों की शक्ति कहलाई
और धरा पर लक्ष्मी तुल्य
मानी जाती रही हैं ये नारी।।

घर परिवार की अनगिनत उलझनों
को बेधड़क मुस्कुरा कर झेलती हैं ये नारी
और हर संघर्षों से जीवन के
लड़ती आ रही हैं ये नारी।।

क्षेत्र हो शिक्षा का
या फिर विज्ञान का
हो चाहे खेल क्रीड़ा का
या बुद्धि बल के प्रदर्शन का
सौ क्या, हजारों पर भारी रही हैं ये नारी।।

फिर,
आज क्यूं!
खाली सड़कों पर
चलने पर असहज असुरक्षा के
डर से सहमी हुई हैं नारी।।

कार्यक्षेत्र हो या हो वीरान मंजर
अकेली जाने से
अब क्यूं ,
घबराई हैं ये नारी।।

दानवों का आतंक
फैला चहुं ओर
कुछ यूं हैं
लग जाएं ना दाग चरित्र पर
ये सोचकर
भय की भवायह स्थिति से
दबंग नारी आज की
भयभीत हैं गई पाई।।

निर्भया कांड की वेदना हो
या हाल फिलहाल का डॉक्टर मौमिता
बलात्कार कांड की दर्दनाक
अमिट दस्तान
वीभत्स घटना ऐसी झकझोर कर
रख देती हैं जिंदगियों को
चीरकर रख देती हैं कलेजे को
और तार तार करती हैं
हर देवी तुल्य नारी के मान सम्मान को।।

क्या,
यही हैं विकसित समाज की झांकी
जिसमें व्याप्त दागदार चरित्र नारी का।।

मन में आक्रोश हैं फूटता
ऐसे दानवों को जिंदा दफन करने का
इनके गलत गतिविधियों में भागी
अंग को छिन्न भिन्न करने का।।

औरत कोई मनोरंजन का पात्र नहीं
इन पापियों वास्ते!
नारी पूरक हैं
किसी दबे कुचले जाने वाली स्थिति
का भाग नही
ना ही उपहास का पात्र उसका
कीमती चरित्र ..

स्वतंत्र चिड़ैया हैं बाबुल के
आंगन की
स्वतंत्र जीवन ही उसका हैं जन्म सिद्ध अधिकार।।

उसकी आजादी पर ना लगे पैबंद
फरफराकर उड़ना ही उसकी पहचान हैं।।

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