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अजीब दास्ताँ है जिंदगी की... गरीबी सड़कों पर धक्के खाती है|
अमीरी महलों में राज जताती है||
कोई माँग रोटी खाता है|
कोई छप्पन भोग में भी इतराता है|
अजीब दास्ताँ है जिंदगी की|
गरीबी थोड़े में खुश हो जाती है|
अमीरी महलों में भी अक्सर दुःखी नजर आती है||
गरीबी में मजबूर की मजबूरी नजर आती है|
हर रोज एक एक रोटी को तरसाती है|
इज्जत से जब वो दो रोटी कमाता है|
भर पेट खाना खा सुकून से सो जाता है||
अजीब दास्ताँ है जिंदगी की| गरीबी सड़कों पर धक्के खाती है|
अमीरी महलों में राज जताती है||
महलों के राजा को कम लगता है संसार|
गरीबों को अपना परिवार ही लगता है प्यार|
अजीब दास्ताँ ये बताती है|
सहाब गरीबी सड़कों पर धक्के खाती है|
अमीरी महलों में राज जताती है||
भूख में एक निवाला भी भर पेट खाने बराबर नजर आता है|
ना हो एक एक निवाले को तरसाता है|
कैसी ये लीला है तेरी श्याम|
क्यूँ गरीबी है दर्द समान||
अजीब दास्ताँ है जिंदगी की| गरीबी सड़कों पर धक्के खाती है|
अमीरी महलों में राज जताती है||

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