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सपने जो आँखों में पल रहे है।
उन्हें पंख तो लगने दो।
उन्नति पथ पर खिल रहे जो।
उन्हें खुले आसमान में उड़ने दो।।

परिंदों सा ना बांधो उन्हें।
फूलों सा उन्हें खिलने दो।
मन में ना मारो उन्हें।
उत्थान पथ पर खुली राहों सा चलने दो।।

जिनकी जगह खास है जिंदगी में।
उनको मुकाम तो हासिल होने दो।
उनके परचम लहरायेगे।
साथ हर कामयाबी अपनी मेहनत से लाएंगे।।

तिलक भाल से श्रृंगार है।
जीत की राह में अंगार है।
मुश्किलों के लिए सजी कृपाण है।
हर हाल पार होंगे कठिन जो पड़ाव है।।

तुम उन सपनों को मारो ना।
कल पर तुम इनको डालो ना।
ये वही एहसास है जो हकीकत कहलायेगा।
तेरा किया हुआ कर्म जीत के रूप में वापस आयेगा।।

तू ललकार दे ब्रह्मांड को।
नेतृत्व कर आव्हान को।
आज जीत की घड़ी है पुकारती।
पुकारती हर राह, हर फतेह तुझको पुकारती।।

हिलोर है उम्मीद,सारथी है परिश्रम।
परचम तेरी यात्रा और साथी है श्रम।
न उम्मीदों को मार तू।
बढ़ा कदम, हर मंजिल को कर पार तू।
बढ़ा कदम, हर मंजिल को कर पार तू।।

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