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संस्कृति सभ्यता संस्कार।
नीति प्रिय संग आचार विचार।
न्याय व्यवस्था और अनीति पर प्रहार।
यही है हमारी संस्कृति और संस्कार।।
सभी प्राचीनतम संस्कृतियों में।
इसका सर्वेश्रेष्ठ मूल्य है।
वो अतुलनीय अमूल्य है।
जो विरासत की धोरहर है।
वह सुंदर सुसज्जित सरोवर है।।
दूसरों के प्रति सहिष्णु होना सिखाती है।
हिंदू धर्म के सिद्धांतों और इसके सह-अस्तित्व,
वसुधैव कुटुंबकम के मूल दर्शन के साथ जुड़ा बताती है।
वही तो भारतीय संस्कृति कहलाती है।।
भूखे को भर पेट भोजन खिलाती है।
उसे प्रेम सहित पास बैठाती है।
जो हमें हर पल इंसानियत से जीना सिखाती है।
भारतीय संस्कृति कहलाती है।।
लफ्जों में जिसके लिए शब्द अनंत है।
जिससे रोशन हुआ रस और छंद है।
कभी न ढलने वाले सूरज सा तेज जो जगाए।
भारतीय संस्कृति कहलाए।।