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दहेज .. क्या सजा सकते हो इससे अपने खुशियो के सेज ..

अगर हो जाए उद्धार, तो करा लो सत्कार ..


लड़के के जन्म को मान समझते हो..

उसकी शादी में भीख ले उसे अभिमान समझते हो ..

लडकियों की पैदाइश अभिशाप मानते हो..

और उससे मिलने वाले दहेज को शान मानते हो..


तुम्हारी वज़ह से ना जाने कितनी जान दहेज के आग में जलती हैं,..

पल पल घुट घुट कर अपना जीवन बसे करतीं हैं..

क्रूरता दिखाने वालो को क्यूं नहीं है खौफ..

क्या वह नहीं जानते उनके वजह से हर घंटे होती है एक बेटी की मौत..


आओ आज मिलकर ले एक संकल्प..

ताकि हमारी बेटियों को भी मिल सके विकल्प..

जड़ से उखाड़ फेंकते है ये कुरीति..

जिससे भविष्य में फिर कभी ना बने ऐसी कोई नीति।

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