Source: Pixabay.com

जिंदगी और मौत के बीच झूलती हुई जिंदगी को चुना मैंने।

मौत के पल पल करीब पहुंच जिंदगी को बुना मैंने।

लम्हें कम थे, पर थी कुछ हसरतें।

हसरतों को आगे पाया मैंने।

दिल से दिल का रिश्ता निभाया मैंने।

खुदको खुद से मिलाया है।

मौत से पहले मैंने जिंदगी को पाया है ।।

हर लम्हा मुस्कराया और रोते हुए हर पल को हंसाया।

रूठे हुए को मनाया,जिंदगी के हर रिश्ते को अंतिम लम्हा मान जी जान से निभाया।।


कभी खुदको भूल सबको मनाया,कभी सबकी खुशी में खुदको हंसाया।

ऐसे खुद से खुद का रिश्ता निभाया है मैंने ,खुद से खुदको ही पाया है मैंने।।


कभी रूठ जाना, कभी मनाना।

कुछ ऐसा बताया है लोगों ने मुझे।

अपनों में अक्सर पाया है मुझे।

रूठ जाऊँ तो बात थोड़े मे भूल जाती हूँ।

कोई दिल भी दुखाए तो चल छोड़ कह खुद को बहलाती हूं।।


अक्सर ऐसे कह मैं खुदको मना लिया करतीं हूं।

खुदगर्ज नहीं हो सकती हूं इसलिए खुदको अक्सर समझा लिया करती हूं।।


जानवरों को इंसानों से पहले माना है..

इंसान तो अपनी बात बोल बता देते है,

जानवरों का दर्द ना किसी ने जाना है।

इंसानियत मेरी पहले है अपनी जान को दूजा मान लिया करती हूं।

खुद से खुद का रिश्ता मै जान लिया करती हूं।

इंसानियत हाथों में लिए इंसान को अक्सर पहचान लिया करतीं हूं।।

.   .   .

Discus