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इतिहास गढ़, बदल दे तस्वीरों को।
उठ बढ़ मंजिल की ओर, तोड़ दे जंजीरों को।
यकीन कर तू बदल सकता है किस्मत की लकीरों को।
लिखने वाले खुद लिखते हैं अपने तकदीरों को।।
रक्त से रक्तधारा को तू बहने दे।
रक्त ध्वनि कानों को तू सहने दे।
रक्त जीवी है तू कण कण में है रक्त बसा।
रक्त प्रवाह से हृदयस्पंदन को तू जिंकणे( जीत )तक होने दे।।
इतिहास गढ़, बदल दे किस्मत की लकीरों को।
लिखने वाले खुद लिखते हैं अपने तकदीरों को।।
तुझे ऐसे ही जीत पर लिखना है अपना नाम।
फिर कभी किसी अस्त सूरज के साथ डूबे ना वो शाम।
दूसरों की चेहरे की सिकंत नहीं बदलती शरीरों को।
तकदीर बदलने वाले खुद लिखते है अपनी तकदीरों को।।
काल को भी जो दे टाल।
बेहाल परिस्थितियों में भी ना हो कोई सवाल।
हर मुसीबत की खीच दे जो खाल।
कर कुछ ऐसा की फिर कभी ना हो मलाल।।
इतिहास गढ़, बदल दे किस्मत की लकीरों को।
लिखने वाले खुद लिखते हैं अपने तकदीरों को।।
प्रण से त्याग दिए गए हो जैसे प्राण।
तरकस से निकल लक्ष्य पर भेदा हो वाण।
अग्नि सा तपस्वी हो अतिंद्रिय।
वैश्वानवर सा हो तू अकथनीय।।
बन कर्मठ, भेद लक्ष्य द्वार को।
इतिहास गढ़, बदल दे किस्मत की लकीरों को।
लिखने वाले खुद लिखते हैं अपने तकदीरों को।।
एक ऐसी ऊर्जा हो जिसमें हो ताप और प्रकाश।
जिसका अस्त्र ही हो प्रयास।
आत्यज्य हो सफलता जिसकी।
आद्योपांत हो जिसका साहस।।
तू ही है वो अग्रगण,उठ ललकार दे हार को।
यकीन कर तू बदल सकता है किस्मत की लकीरों को।
लिखने वाले खुद लिखते हैं अपने तकदीरों को।।
पूर्णिमा सी वह हो रात ,पूर्ण चंद्र रूप से हो मुलाकात।
चंद्र लालिमा की हो बरसात।
सौगात ऐसी जो बदल दे अमावस्या की रात।
तेरे पास नीति भी है और प्रहार का चक्रपात।
उठ खड़ा हो तोड़ दे दिखा दे सबको लोमहर्षक केंद्र वार को।
इतिहास गड़,बदल दे किस्मत की लकीरों को।
लिखने वाले खुद लिखते हैं अपने तकदीरों को।।