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 कर्मों से है गुणवान।
या वक्त तुझ पर है मेहरबान।
ना कोई कल्पना कर्म से बड़ी।
ना दुनिया की कोई रीत हो पाई कर्म के आगे खड़ी।।
रग रग में बह रहा वह लहू वक्त वाक्य है।
पूरा हो जो ख्वाब वह जीवन राग है।
मन कोयला,खदान, आवंटन या सिर्फ दिखावा या मान्य है।
तिलक है शौर्य,पराक्रम धर्म कर्म सम्मान है।।
तू कर्मों से है गुणवान।
या वक्त तुझ पर है मेहरबान।।
निवृत्त हो नहीं सकती है जीवन की माया।
राग हो या सुख की काया।
दरबारी हो या रंग,राजा ही क्यूं ना हो संग।
प्रीत सारे जग की लगाए।
पर कर्म का फल ही संसार से नैया पार लगाए।।
तू कर्मों से है गुणवान।
या वक्त तुझ पर है मेहरबान।।
जीवन मंत्र जप या तप जाप है।
भ्रम भाग्य या रूह या माप है।
तौल श्रेय श्रम या ताप है।
जीवन संघर्ष संग्रह क्या अभिशाप है।।
तू कर्मों से है गुणवान।
या वक्त तुझ पर है मेहरबान।।
भूमि,अधिग्रहण,विधेयक या कानून व्यवस्था प्राप्त है।
सुनिश्चित है सब,सुख अज्ञात है।
ज्ञान है अपरंपार या दर्पण में बसी रात है।
ध्यान में है रीत या गुण तू कर्मों से गुणवान है।।
तू कर्मों से है गुणवान।
या वक्त तुझ पर है मेहरबान।।
संसार की काया पलट ना पाई।
कर्मों की माया किसे समझ में आई।
सारे जग, जननी, पितृ शांति सब कर्मों से ज्यादा कहां हो पाई।
जन्मभूमि स्वर्ग लोक संस्कृति में कर्म कर्म कर्म की ही प्रीत समाई।।
तू कर्मों से है गुणवान।
या वक्त तुझ पर है मेहरबान।।

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