मैं भी इंसान तू भी इंसान..
फिर तेरा सम्मान और मेरा अपमान..
ऐसा क्यूँ है भगवान..

भले ही न देते धन धान्य, पर दे देते सम्मान,
ये किन्नर जन्म ही है हमारे लिए सबसे बड़ा अपमान,
मौत के बाद आत्मा की आजादी के लिए किये जाते
हैं अनुष्ठान..
ये तेरा कैसा न्याय है भगवान?

तू जग से लड़ा, तेरे आगे है भगवान खड़ा,
तेरे आशीष से है भंडार भरा,
नजर उतारने को बुलाते हैं तुझे लोग अपरिचित,
तू दुआ दे उनका उद्धार करता है निश्चित,

तू मेरी एक अनोखी रचना है
तुझे काल्पनिक अस्त्रों से बचना है,
मैं हर जगह आशीष नहीं दे सकता,
इसलिए मैंने तुझे बनाई अपनी एक खास संरचना है||

तू मेरा आशीर्वाद पाकर किन्नर बना.. .
मैंने तुझे खास कर्मों के लिए है गढा ||

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