क्या बोलूँ तेरो नाम ।
कृष्ण, कन्हैया या भगवान।।
तेज मेरे कृष्ण के मुख पर अति साजे।।
मोर मुकुट पीताम्बर जब सोहे।
कान्हा मोरे मन को मोहे।।
जगन्नाथ,जगदीश या भगवान।।
प्रीत लगी संग तेरी मुस्कान ।।
राधा मीरा गोपियाँ सब जपे तेरो नाम ।
तेरे संग ऐसी प्रीत लगी मेरे श्याम ।।
मुरली मनोहर, मुरलीधर या गोपाल।।
कंस के लिए विष, भक्तों के लिए है वो अमृत का प्याला।।
प्रेम का सागर है वो, प्रीत की गागर है वो,
जिसके मुख में समाए समस्त संसार ।
वो हैं माँ यशोदा को नंदलाल ।।
पार्थ सारथी, सर्वेश्वर या भगवान ।।
समस्त संसार मे प्रेम और अपनापन का किया प्रसार।।
कर्म के प्रति किया मार्ग दर्शन। हुआ ओत प्रोत प्रदर्शन ।।
मुरलीधर,नंद गोपाल या भगवान ।।
अन्याय धरती पर बढ़ता जाए ।
तब श्रीकृष्ण ज्ञान का पाठ पढ़ाए ।
अर्जुन को अपना धर्म बतलाए।
अधर्म रूपी दानव को मार भगाए ।।
गोविंदा, गोपाल या भगवान ।।
द्रोपदी की लाज के लिए जो स्वयं आए ।
धर्म की हानि तुम समझ लेना ।
नेक कर्म करने की तुम शपथ लेना।।
कर्म ही तेरे साथ है ।
मौत के बाद बस तेरा कर्म पर ही अधिकार है ।
कर्म की मोक्ष प्राप्ति का द्वार है ।।
कृष्ण कन्हैया या गोपाल।।