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क्या कर रही है तू,
खुद से ही क्यूं लड़ रही है तू,
क्यूं ऐसा कर रही है तू,
दूसरों के किये का खामियाजा क्यूँ भर रही है तू।
तेरी आबरू पर आज आंच आई है,
तो तू ही इसे बचाएगी ,
उठ हिम्मत कर, खड़ी हो,पलट वार कर,
तेरी हिम्मत ही आज इन मंचलो को सबक सिखाएगी।।
उठ ललकार दे आज उस इंसान को,
ताकि वो जान पाए एक नारी के सम्मान को,
तू क्यूँ ग्लानि करती है,तेरा क्या इसमें दोष है,
ये बलात्कारी को तू देगी सजा खुद अपने इन हाथों से,
तू तो निदोष है ।।
तू न बन सहनशील, बन जा काली,
उठा त्रिशूल,और कर दे इन बलात्कारियों को खाली,
मत बन लडकी मतवाली, तू बन काबिल,तू बन शक्तिशाली,
जिससे लोगो को पता चल जाए,एक नारी
अकेली ही कर सकती है अपनी सुरक्षा और अकेले ही है इन सब पर भारी।।
नारी को गलती मत कर समझने की बेचारी|
वह नहीं है अबला|
तू समझ के चल चंडी|
उसके साथ हिम्मत भी की कुछ गलत करने की
तो समझ लेना जल जाएगी तेरे कब्र की हंडी ||

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