उनके साथ बैठ जाना ही काफी है।
इनका हाथ रख देना ही
तुम्हारी हर गलती की माफी है।
जरूरत नहीं है जमाने की।
मां बाप चाबी है हर खजाने की।।
उनसे संसार चला,इनसे चली मां धरती।
हुई चौड़ी छाती, पेट सबके भरती।
आस ना टूटी कभी, उम्मीद न छूटी कभी।
ऐसी ही मतवाली है, मां बाप से चलती दुनिया सारी है।।
जरूरत नहीं है जमाने की।
मां बाप चाबी है हर खजाने की।।
ना हो साथ तो हर आस अधूरी होती है।
मां बाप के साथ रहने से हर ख्वाइश पूरी होती है।
उनका होना ही हर उपलब्धि।
साथ उनके मिले हर समृद्धि।।
जरूरत नहीं है जमाने की।
मां बाप चाबी है हर खजाने की।।
जहां की सारी खुशियों की ना हो तम्मन्ना।
मां बाप की खुशियों से भरा हो हर पन्ना।
सिखाए है जैसे उन्होंने संस्कार।
अपनी देगे एक एक सांसे उन पर बार।।
जरूरत नहीं है जमाने की।
मां बाप चाबी है हर खजाने की।।
उनकी खुशियों के आगे न होगी कोई इच्छा।
मुस्कान उनकी होगी हर जीत की शिक्षा।
नतमस्तक कर देंगे शीश उनके समझ।
चाहे उनकी एक मुस्कान के लिए किसी से मांगना पड़े भिक्षा।।
जरूरत नहीं है जमाने की।
मां बाप चाबी है हर खजाने की।।
ना किसी के होने से माप पूरी होती है।
माता पिता की कमी बस उनके ही होने से पूरी होती है।
दुनियाँ से तो बस समझौते होते रहते हैं।
जिद तो बस माँ - बाप से पूरी होती है।।
जरूरत नहीं है जमाने की।
मां बाप चाबी है हर खजाने की।।
शरीर पर ऋण रूपी ना समझ।
उनके अनुसार ना ही मान उपकार रूप।
मां बाप देवता है जीवन के।
लहू रख दूं मान उन्हें अपनी आत्मा स्वरूप।।
जरूरत नहीं है जमाने की।
मां बाप चाबी है हर खजाने की।।
हैं जन्म दाता और जन्म दात्री।
जिनसे हो दिन और रात्रि।
अपनी मुस्कान गवा जिन्होंने बनाया है इस काबिल।
उनको भी हक है वो हो दुनिया के हर पुरुस्कार में हो शामिल ।।
जरूरत नहीं है जमाने की।
मां बाप चाबी है हर खजाने की।।
लगाना सिखाया जिन्होंने अनुमान।
दिया है जिनसे हर चीज का ज्ञान।
मस्तक लगाएंगे उनके हर नियम।
उनसे अधिक नहीं है कोई अहम।।
जरूरत नहीं है जमाने की।
मां बाप चाबी है हर खजाने की।।
उनके बिना ना होगा यह संसार।
जिनके क्रोध में भी अदृश्य है ढेर सारा प्यार।
जिन के होने से नव स्वप्न, नव रीत है।
उनसे ही श्वासें और फैली प्रीत है।।
जरूरत नहीं है जमाने की।
मां बाप चाबी है हर खजाने की।।
अहो भाग्य हमारे।
विधाता रूप में मिले सहारे।
भगवान को साक्षात धरती पर उतारे।
ले मानव रूप साथ हमारे पधारे।।

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