मैंने मेरे पापा को मेरे बचपन से देखा है।
उन्हें संघर्ष करते देखा है ।
हमें बेशुमार प्यार करते देखा है ।
मैंने मेरे पापा को मेरे बचपन से देखा है।।
उन्होंने कभी हार नहीं मानी ।
मेहनत के अलावा है उनके लिए सब बेइमानी।
हमें हर परिस्थिति से उन्होंने लड़ना सिखाया है ।
बेईमानी कर्म से दूर रहना बताया है ।।
हताश होने की क्रिया ना बतायी कभी ।
उन्होंने गिर कर उठने की प्राप्ति सिखाई ।
पहचान जिनकी मेरे लिए मेघा है।
मैंने मेरे पापा को मेरे बचपन से देखा है।।
सीख पर्याप्त है यही हमेशा बताया है।
उन्होंने आत्मसम्मान से जीना सिखाया है।
उनको हर पल गौरव से जीते देखा है।
मैंने मेरे पापा को मेरे बचपन से देखा है।।
आसान नहीं रहा सफर होगा उनका भी।
पर उन्होंने कभी तेज की सिकंद भी ना आने दी चेहरे पर ।
हर बात हंस कर जो टाल देते हैं हमारी हर बात जो मान लेते हैं।
उनके रूप का व्याख्यान नहीं और मेरे पापा जैसा दूजा इंसान नहीं।।
एक फरिश्ते के रूप में उन्हें पाया है।
जिन्होंने मेरे हर सपने को सच कर दिखाया है।
मेरे हाथों में मेरे पिता की भी एक रेखा है ।
मैंने मेरे पापा को मेरे बचपन से देखा है।।