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संकट में घिरा जब तू खुद को पाएगा।
जब भी तू किसी दुःख के सामने आएगा।
हाथों को जब जब मदद के लिए फैलाएगा।
वो स्वयं भेष बदलकर आएगा।
ना जाने किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।।
किसी दुःख दर्द से जब होगा तेरा सामना।
तू जब भी करेगा उस प्रभु की कामना।
जब ना होगी कोई आस, होना ना तू कभी निराश।
वो अनायास ही तेरे पास बैठ तुझे समझाएगा।
ना जाने किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।।
जब लगेगा हुआ हर मार्ग पर प्रतिबंध।
समस्याएं लगने लगेगी निबंध।
जैसे ही तेरे आंखो से अश्रु का कण बाहर आएगा।
वो स्वयं तेरे समक्ष प्रकट हो जाएगा।
ना जाने किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।।
कर्मो को कैसे तू अपने उससे छुपाएगा।
जन्म तिथि भूमि स्थान।
प्राप्त सब का सार हो जाएगा।
वो स्वयं हर समस्या का निवारण बताएगा।
ना जाने किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।।
बहक जाए जब तू अपने रास्ते।
संग मिले न किसी के वास्ते।
रूप अंग रंग संग जब रास न आएगा।
उस पल नारायण स्वयं हर रास्ता दिखाएगा।
ना जाने किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।।
ना जाने किस रूप में आकर।
वो तेरे पास बैठ जायेगा।
कभी तुझे हसायेगा कभी रूठे हुए को मनाएगा।
सखा के भांति तुझ पर प्रेम लुटाएगा।
ना जाने किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।।
तू उसे ध्यान से सुनना।
वो तुझे कुछ समझाएगा।
सारे जहां का सार कुछ शब्दों में जाहिर कर जाएगा।
वो हरि गीता सा पाठ पढ़ा हर चीज का सार बतलाएगा।
ना जाने किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।।
रास पास खास झलकियां इनकी ना मीत।
लीला ऋण उपलब्धि लाभ सांसारिक अभाव
इनकी भी न होगी प्रीत।
वो अपने प्रेम में ना कोई भेद कभी दिखाएगा।
ना जाने किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।।
जब तू उसे खुद के पास पाएगा।
सारे जहां का सुख भूल जाएगा।
सात्विक के अभाव में खुद को तू ले जाएगा।
वैराग्य धारण कर तू उस पल हरि में सम्महायित हो जाएगा।
ना जाने किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।।
सुगम होगा जब परस्थितियां का संयोग।
निशा समीर सलिल तटिनी का बनने लगेगा योग।
पृष्ठ दृश्य अक्श भी खुद को खूबसूरत दिखाएगा।
चारों दिशाओं में लालिमा का प्रभाव सात इंद्र धनुष के रंगों सा छाएगा।
उस पल कल्कि अवतार इस धरती पर आएगा।
उस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।।

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