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मैं पैसा हूं...
मैं नमक की तरह काम करता हूँ|
हर जगह नमक की तरह पलता हूँ|
मेरी मौजूदगी स्वाद बना देती है|
और हो जाए ज्यादा तो सब बिगाड़ देती है||
मैं पैसा हूं...
मैं भगवान नहीं हूं|
पर लोग मुझे भगवान से कम नहीं मानते|
पूजते है मुझे|
मुझसे आगे किसी को ना जानते||
मैं पैसा हूं...
पैसा कहता है-
सुन मेरे बिना तो जग भी सूना बैठा है|
सब ऐसे ही ऐठा है|
तू मुझे ऊपर नहीं ले जा सकता है|
पर मेरे रहते तू बहुत ऊपर जा सकता है||
मैं पैसा हूं...
जब तक मैं हूं|
तू सब के दिल का हमराज़ है|
सब तेरे रिश्तेदार है|
तो कहीं कुछ तेरे अपने भी तुझसे नाराज है||
मैं पैसा हूं...
वैसे तो हूं एक कागज का टुकड़ा|
पर मैंने सबको अपने हिसाब से है जकड़ा||
मैं निर्धारित करता हूं|
लोग कितनी इज्जत देगे तुम्हें ये सिर्फ मैं ही बता सकता हूं||
मैं पैसा हूं...
मैं ही सारे फसाद की जड़|
मैं ही पनपे फसादों का धड़|
फिर भी पता नहीं लोग क्यूँ पागल हो मेरे पीछे भागते हैं|
मुझे ही क्यूँ हमेशा मांगते हैं||
मैं पैसा हूं...
जुबान नहीं है मेरी|
तब भी मैं करा देता हूं तेरी मेरी|
मुझे ना कभी किसी ने बोलता पाया |
पर सबकी बोलती बंद करने की जरूर मुझे ही वजह फरमाया||
मैं पैसा हूं....

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