Photo by Margaret Polinder on Unsplash

पंचतत्व से बना शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाएगा|
एक दिन तेरा अपना ही तुझे जला नहाएगा|
किस बात का घमंड रखता है|
ना तेरा जोड़ा तेरे साथ जाएगा||
ना तेरे जाने के बाद कोई तेरा अपना कहलायेगा|
इतना सब कहाँ तू लेकर जाएगा|
माटी का खिलौना ये शरीर एक दिन माटी में मिल जाएगा||
धूमिल है ये काया|
बस समझो हमने अपना फर्ज निभाया|
आए थे खाली हाथ, खाली हाथ ही जाना है|
माटी का खिलौना एक दिन माटी में मिल जाना है||
सोच विचार कर क्यूँ मन भरते हो|
ना कोई तुम्हारा है, ना तुम किसी के|
तो क्यूँ अमीरी गरीबी, ऊँच नीच का बैर रखते हो|
एक दिन सब यहीं रखा रहा जाना है |
पंचतत्व से बना शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाना है||
ये बस जीवित एक पुतले की प्यास है|
जब तक शरीर में श्वास है|
बस तब तक ही ये आस है|
फिर एक दिन सब खत्म हो जाएगा|
पंचतत्व से बना शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाएगा||
ले शाबाशी प्रसन्नता का तू हकदार है|
पर ना रख मोह इनसे ये तेरी आत्मा का पलटवार है|
इनके स्नेह में ना बाँध खुदको,
ये सब तो बस क्षण भंगुर जीवन का प्रयास है|
एक दिन ये भाग्य भी मिट जाएगा|
माटी का खिलौना माटी में मिल जाएगा||
कभी ना मरकर जीने की जो आस है|
वो बस मृगतृष्णा सी एक प्यास है|
जिसकी पूर्ति ना कभी कोई कर पायेगा|
एक वक्त वो भी आएगा|
जब पंचतत्व से बना शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाएगा||

.    .    .

Discus