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हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार...
देवों के देव महादेव का महीना है सावन।
भगवान शंकर का महीना सावन है अति पावन।।
सावन पूर्ण रूप से है शिवजी को समर्पित।
उग्र विष को शांत करने के लिए भक्त इस महीने में शिव जी को करते हैं जल अर्पित।
इसी महीने में हुआ था समुद्र मंथन ।
भगवान शिव ने विष को किया था अपने कंठ में धारण।।
भगवान विष्णु को दिया भोलेनाथ ने आराम।
ब्रह्मांड के संचालन की डोर,हाथ में ले लिया सम्पूर्ण काम।
माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किए कठोर तप।
फलस्वरूप, विवाह शिव से हुआ और मिल गया सब।।
श्रावण का महीना पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए है बहुत महत्वपूर्ण।
सावन में दक्षिण-पश्चिमी मानसून का आगमन होता है सम्पूर्ण।
नीलकंठ का दिखाई देना भी शुभ माना जाता है।
प्रकृति का कण–कण अति प्रसन्न हो खुशी से गीत गाता है।।
सावन की फुहारें मीरा के मन में उमंग जगाने लगी है।
लगा ऐसा श्रीकृष्ण के कदमों की ध्वनि सुनाई आने लगी है।
मीरा को सावन लगता मनभावन,सावन के आने से मन में भरती उमंग।
इन्हीं कारणों से मीरा को सावन मन भाने लगा है।
सावन का महीना पावन अपना असर छाने लगा है।।
सावन के आने से प्रकृति की हरियाली का महीना आता।
कोयल गाती गीत , पपीहा गाना गाता।
वर्षा मेघों से बादल जो गरजता है।
चोट पानी की बूंदों से डाली हर पत्ता थर्राता है।।
घनघोर घटा बिजली पानी दिल सीने में लहराता है।
तप्त कुण्ड पोखर नदियों में जल धार सा बलखाता है।
सावन जो चढ़ा फिर बागों, झूलों की बातें होती हैं।
गुलशन की रंगीं सैरों में ठंडी ठंडी बरसातें होती हैं।।
सावन में धरा ने ओढ़ी हरी चादर।
सुहावने सावन में करते मयूर नृत्य।
हरियाली छाई , खुशहाली लाई।
पल पल बलखाती पल पल शर्माती।
वो बारिश की बरसाते आईं।।