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झुकी हुई नजरों में शर्म का नजराना बताया|
और उठ गयीं जो आखें तो बेशर्मी का पैमाना जताया||
ऐसे बोलते है वो लोग भी,
जिनकी नजरो में है गन्दगी का साया चढ़ा|
उनके नजरों के आगे क्यूँ कोई नहीं खड़ा??
जीन्स टॉप में बेशर्मी बताते हो|
बुर्के में जो तुम पैमाने लेते फिरते हो, उसमे हया क्यूँ नहीं हया दिखाते हो??
देखने वाले नहीं छोड़ते बुर्के को,
और दोष छोटे कपड़े पहनने वाली का बताते है|
नहीं छोड़ते ये बच्चियों को भी
तब भी इल्ज़ाम लडकियों पर ही लगाते हैं||
बात कपड़ों की नहीं नजर का फेर है|
वर्ना अपनी बहनों की छाती पर क्यूँ नहीं चलती इनकी नजरें तेज है|
शरीर उनकी माँ बहन ने भी पाया है|
फिर क्यूँ नहीं अपनी माँ बहन को उन्होंने माल कह बुलाया है||
शराब के नशे में लड़की नजर आती है|
हैवानियत समझ जाती है|
पर ये कौन बताता है|
ये तेरी बहन नहीं है ये बताने कौन आता है??
छोटी बच्ची से तूने रैप किया,
उसको मार फेंक दिया|
क्या कभी सोचा है कितना दर्द हुआ होगा उसको|
जब तूने छुआ होगा उसको||
ना उसको समझ आया होगा|
वो नन्ही चिड़िया ने अपना हमदर्द सोच तुझे गले लगाया होगा|
डर उसको खा रहा होगा|
क्या कर रहा है तू,उसको समझ ना रहा होगा||
जान से ज्यादा जान गयी होगी उसकी|
बेदर्दी जब बढ़ गयी होगी उसकी|
बेसुध छोड़ दिया होगा खुदको|
जब लगा होगा मार दिया इसने मुझको ||
सोच जरा अगर कोई तुझमें सरिया घोंप दे|
तो क्या तुझपर बीतेगी?
नन्ही सी जान थी वो|
क्या तुझे एक बार भी नहीं लगा वो इस दर्द से कैसे उभरेगी??
क्यूँ समाज में लड़कियों को कसूरवार मानते हैं|
उनके लिए हर कानून हर नियम जानते हैं||
लडकियों को कपड़े पहनने का जो तुम सलीका सिखाते हो|
अच्छा करते हो, पर लड़कों को भी क्यूँ नहीं सब ऐसे ही बताते हो??
लडकियों को बताते हो ज़माना खराब है|
अपने लाडलों को क्यूँ नही सिखाते हो,
लडकियों भी चल पाए हर जगह सुरक्षा से, माहौल को क्यूँ नहीं बनाते इतना साफ हो||