समाज में नारी के प्रति सम्मान जगाओ|
नारी को अधिकार दिलाओ|
नारी का मान बढ़ाओ|
वक्त आ गया है अब तुम नारी का अभिमान बढ़ाओ||
अपने बेटों को बचपन से नारी सम्मान करना सिखाओ|
यदि पत्नी के रूप में सीता सी मर्यादा चाहते हो|
तो खुद को भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बनाओ||
है यदि वो काबिल|
तो उसे भी बेटों के तरह अग्रसर होने का मार्ग दिखाओ|
उसके उन्नती के परचम लहराओ||
तो कहते हैं, नहीं है ये कोई कमाल|
पर जब उस नारी ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बन अंग्रेजो के छक्के छुड़ाये|
तब ये दुनिया वाले नारी की हिम्मत का अंदाजा लगा पाये||
तेज भरा है उसके रग रग|
यदि नारी संसार का मान बढ़ाती है|
तो वह महाकाली सा रुद्र रूप रख दुष्टों का संहार मे देर कहा लगाती है||