क्या है मुक्ति , विमुक्ति या विमोक्ष,
जन्म और मरण के बन्धन से छूट जाना ही है मोक्ष ||
कर्म ही कराते हैं उस ओर प्रस्थान |
मत्यु बाद आत्मा करती है बैकुंठ में वास |
स्वर्ग ही होता है उस समय उसका निवास ||
इसमे जीवात्मा जन्म मरण से लम्बी अवधि का अवकाश ले, ईश्वर के सान्निध्य में व्याप्त है |
सब त्याग जब एक जीवात्मा वैराग्य पाती है |
ईश्वर उपासना, ध्यान, समाधि सहित यज्ञ आदि कर ईश्वर साक्षात्कार में प्रवृत्त हो जाती है ||
जन्म और मरण के बन्धन से छूट जाना ही है मोक्ष ||