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गणेशोत्सव एक महान उत्सव है और सम्पूर्ण भारत में अनेक प्रकार से मनाया जाता है। उतर भारत में गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप पूजा जाता है, तो महाराष्ट्र में मंगलपूर्ति के रूप में उनकी आराधना की जाती है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता कला शिरोमणि के रूप में है। आस्था का दामन थामे भक्तों का उत्साह गणेशोत्सव के समय शिखर पर होता है। गजानन को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति भक्ति भाव के रंग में रंग जाता है और गणेशोत्सव पर उमड़ती सदभावना, उत्साह, उमंग देखकर मन प्रसन्न हो जाता है।

भगवान गणेश से संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं और वो हमें कई शिक्षाएं प्रदान करती हैं। गणपति भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और स्वयं महादेव ने गणेश जी को किसी भी शुभ कार्य में प्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद प्रदान किया है। भगवान गणेश आदि आराध्य देव हैं और उन्हें एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है। कोई भी धार्मिक उत्सव हो, यज्ञ, पूजन इत्यादि सत्कर्म हो या फिर विवाहोत्सव हो गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है।

भगवान शंकर ने गणपति को गज मुख प्रदान किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान गणेश का गज मुख को स्वीकार करना भी एक अद्भुत लीला है और जो उन्होंने इसलिए ही रची है ताकि उनके मुख से मानव जाति को शिक्षा प्राप्त हो सकें। गणेश जी की रूप कल्पना अदभुत है। उनके रूप का विश्लेषण किसी भी व्यक्ति के लिए शिक्षाप्रद है।

उनका गज के समान मस्तक व्यक्ति को विवेकशील होने की शिक्षा देता है। उनका बड़ा मस्तक हमें यह भान करता है कि किसी भी निर्णय को लेने से पहले अपने दिमाग का उपयोग अच्छी तरह से कर लेना चाहिए और बहुत सोच विचार कर ही निर्णय लेना चाहिए।

उनके गज मुख वाले कान हैं। उनके कान जो आकार में विशाल हैं इस बात का संकेत करते हैं कि जीवन में कान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अर्थात हम कानों के माध्यम से क्या सुन रहे हैं यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। यह इस बात का प्रतीक हैं कि व्यक्ति को हमेशा दूसरों की बात सुनने के लिए तत्पर रहना चाहिए। दूसरों की बात नहीं सुनने वाला व्यक्ति कभी सफल नहीं हो पाता है क्योंकि उसे जीवन में क्या चल रहा है इसकी जानकारी नहीं हो पाती है। लेकिन दूसरे की बात पर कैसी प्रतिक्रिया देनी है, उस बात को अपनाना है या नहीं इसका निर्णय अपने मस्तिष्क का प्रयोग कर खूब सोच-विचार के बाद ही करना चाहिए।

गणेश जी का बड़ा पेट जो एक गज की भांति है, यह संकेत करता है कि जीवन में भरण-पोषण एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है। व्यक्ति को सदैव अपना और अपने परिवार का स्वाभिमान के साथ भरण-पोषण करना चाहिए। भरण-पाोषण के कार्य को अत्यंत आवश्यक मानना चाहिए और अजीविका में निरंतर संलग्न रहना चाहिए क्योंकि यदि व्यक्ति अपना और अपने परिवार का भरण-पाोषण नहीं करेगा तो परिवार कमजोर हो जाएगा। इसके प्रभाव से धीरे-धीरे समाज कमजोर हो जाएगा और कमजोर समाज से देश कमजोर हो जाएगा।

गणेश जी को लडडू जैसे सात्विक और मिष्ठान वाले आहार प्रिय हैं जो जीवन में सात्विक आचरण अपनाने की प्रेरणा देते हैं। इसके साथ ही यह संकेत देते हैं कि जीवन में मिठास कभी भी कम नहीं होना चाहिए। चाहे यह मिठास भोजन से संबंधित हो अथवा सगे-संबंधियों और रिश्तेदारों के बीच रिश्तों वाली मिठास हो। यह इस बात का भी संकेत है कि आप सदैव सात्विक और अच्छा आहार लें और आपस में सौहार्दपूर्ण व्यवहार बनाए रखें।

उनका वाहन मूषक है जो यह तथ्य सामने लाता है कि छोटे से छोटे तत्व को भी मंगलमय साधन बनाया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति या प्राणी को छोटा नहीं समझें। सभी का आदर करें और उन्हें उपयोगी समझें। ऐसे बहुत से अवसर होते हैं जब आपके बड़े-बड़े कार्य किसी छोटी सी बात के कारण रूक जाते हैं। इसलिए किसी भी कार्य की योजना बनाने से पहले उस योजना में भविष्य में प्रयुक्त होने वाले छोटे-छोटे साधनों का नज़रअंदाज़ न करें और उन्हें ध्यान में रखें।

गणेशोत्सव को सार्वजनिक महोत्सव का रूप देने का प्रयास सर्वप्रथम लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने किया था। उन्होंने गणेशोत्सव को जो स्वरूप दिया उससे गणेशजी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गए। पूजा को सार्वजनिक महोत्सव का रूप देते समय प्रमुख उददेश्य समाज को छुआ-छूत से दूर करना, समाज को संगठित करना तथा आम आदमी का ज्ञानवर्धन करना था।

वर्तमान में भी गणेशोत्सव का आयोजन परस्पर सौहार्द एवं आपसी प्रेम से करने पर समाज में एकता की भावना को बल मिलता है। आइये गणेशोत्सव को परस्पर प्रेम और उत्साह से मनायें और प्रार्थना करें कि -हे गौरी नन्दन! आप दुख, भय, चिन्ता, इत्यादि विघ्नों के हरणकर्ता के रूप में पूजित हैं, आप मानव के संतापों को हरने की कृपा करें। आप को कोटि-कोटि प्रणाम है। हे गजानन! हमें आशीर्वाद प्रदान करें कि समाज की भावनात्मक एकता और अखण्डता की रक्षा आपकी कृपा दृष्टि द्वारा सदैव होती रहेगी।

गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें।

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