Image by Jai Bhutani from Pixabay

लहुलुहान हुआ बदन 

पर जान से भी प्यार है 

हमें यह वतन 


पड़ते रहे 

सर कटे रहे 

पर सर उचा करने के चाह में

भारत माता को, गोरों से 

आजाद करवाने के राह में 

यह आवज़ नहीं 

यह आवाहन है 

जागो हे भारत के वीर


आज अपने कलम में 

आग नहीं खून भरता हूँ 

भारत माता की ,

आज की झलक दिखलाता हूँ 


आज़ादी के राहों में 

पनस से राहों में पडे हुएं 

फिर भी वीरों ने 

हार को हार का हार पहनाया 

ऐसी है मेरी वतन की काया 

गोरों को सम्मान से भगाया


सहस्त्र साहस की कथा है 

यह मेरेे नहीं 

सब की गाथा है 

असीम शक्ति का प्रकार है 

यह वीरों का, 

माहाकाल सवरुप है 


भारत माता के आजादी 

से पहले कितनों ने 

प्राण किए अरपण

किसी का भाई, 

किसी का पिता, 

किसी का आखों का तारा 

अरपण हुई यह धारा 


आए थे जो 

सौदागर बनकर 

वह गदार निकले 

पहले हम मुगल में बधे थे 

अब गोरो के हाथों लुटे थे 


ज्ञान का हुआ बलिदान 

भारत बना हिन्दुस्तान

एक बार नहीं

कई बार हुआ अपमान 

हिन्दुस्तान से बना इंडिया 

उतर गई ममता की बिंदिया


माहाकाल का नेत्र खुला 

सब के खून में 

अब अग्नि भरा 

किसी किमत का, 

अब बात ना हो 

अब माहा रण हो 


चारों दिशाओं से  

मेघ गरजे गरजे

एक ताली में 

खानेवाले खुद को

 एक है कहलाने वाले

लहुलुहान हुए एक साथ रहनेवाले


उम्मीद थी कि 

आजादी खुशियों से सजाएंगे

प्रेम की लहर चलाएंगे

अमन की बरखा बरसेगी

अन्न-अन्न को ना तरसेगी

महि देख देश मोहित होगा


पर कभी ना सोचें थे कि

परिणाम एसा होगा 

लहरी के लहर लाल हो गए

भारत अब, 

हिन्दू और मुसलमान हो गए 

एक कोटि मानवः,

एक पल में ही साफ़ हो गए

इंसानियत शरमसार हो गया


इंसान ही नहीं अलग हुए 

महा स्थल भी अलग हुए

महाकाव्य को भी खोना पड़ा

खुशी के अवसर पर भी 

हमें रोना पड़ा 

आजाद हो कर भी 

हमें उनके जैसा ही बना पडा 


आज भाषा, वस्र सब 

गोरों जैसे हो गए

हम हिन्दू हो कर भी 

गोरों के हो गए

कितना कुछ लूटा 

सोने की चिड़िया थें 

उसे गोरों ने सुला दिया 

आज सिर्फ दिखते है

पर अंदर से उनके जैसे हो गए


कुछ है 

भारत माता के संतानें 

कुछ सो गए 

भारत माता के लिए 

कुछ गोरों के हो लिए 

भ्रम जाल में फस कर 


अंदर उर बरई के 

कहत बारम बार 

मत बेचत बेटा -बेटकी के 

मेघ गरज गरज के बरस 

इतना बरस की 

धान अपार होत 

ताकि किसान-कुल को 

ना करत पडे पाप 

प्रथना करत भारत माता

बुझाइ के यह आगि 


भारत माता की कृपा से

भारत बना महान 

चल रहें फिर से 

सोने की चिड़िया कहलाने 

हमारे वीर जवान 

हाथों में हथियार लिए 

मन में शांति लिए 

उर में भारत माता का 

रहकर सम्मान 

हमारा देश है 

सब के जैसा महान

 

 

हम कभी अहं ना करते

सदा सबका सम्मान करते 

हम सबको हम कहते 

 बेजान में भी भगवान देखते 

उनकी भी हम पूजा करते 

जैसे उसमें भी हो जान


एक हाथ में 

कमल रखते 

एक हाथ में तलवार 

जो भी चाहए वह 

वह ले यह है उसका काम

दुश्मन से रण में 

दुशमनी करते 

रण के बाहर करते सम्मान 

यह भारत देश है महान 

.   .   .

Discus