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तरक्की ऐसी कि कोसों दूर बैठे इंसान को देख सकते हैं,
पतन ऐसा कि पास बैठे इंसान का दर्द दिखाई नहीं देता।
रोशन हो दिल अगर, तो लगते हैं ग़ैर भी अपने से,
दिल में हों अंधकार, फ़िर अपने सिवा कोई दिखाई नहीं देता।
ज़मीन पर बैठे, आज देख सकते हैं हम आसमान की दुनिया भी,
लेकिन फ़िर भी ना जाने क्यूँ, अपना ही ऐब दिखाई नहीं देता।
सुबह उठते ही शुरू हो जाती है, व्हाट्सएप्प पर बारिश गुड मॉर्निंग की,
मगर विडंबना देखो, साथ बैठा अपना ही भाई दिखाई नहीं देता।
ये नौजवान कैसे हो जाते हैं पागल इश्क़ में इस तरह,
फ़िर इन्हें माँ की आँख का आँसू भी दिखाई नहीं देता।
अपनों से मिली दिलों की चोट, दुखती रहती है फ़िर उम्र भर,
जिस्मानी घाव तो एक वक़्त के बाद दिखाई नहीं देता।
हो जाओगे कामियाब तो लोग भूल जाएंगे तुम्हारा अतीत,
फिर किसी को वो फटा जूता दिखाई नहीं देता।
जब धुन होती है मन में मंज़िल पाने की तनवीर,
फ़िर रास्ते में चुभता वो काँटा दिखाई नहीं देता।