समय का पहिया अनवरत घूमता रहता है और परिणाम होता है सतत परिवर्तन। परिवर्तन हर क्षेत्र में होता है और मुद्रा भी इसका अपवाद नहीं है। ऐसा माना जाता है कि मानव सभ्यता के विकास के साथ ही व्यापार प्रणाली की भी शुरुआत हुई थी। शुरुआती दौर में वस्तु विनिमय प्रणाली के माध्यम से व्यापार होता था जो समय के साथ बदला गया था तथा उसके बाद मुद्रा का जन्म हुआ जो व्यापार में विनिमय करने का आसन माध्यम बना।
मुद्रा के स्वरूप में भी समय के साथ बदलाव हुआ था जहाँ पहले स्वर्ण एवं रजत धातु से बने सिक्कों का प्रयोग होता था फिर धीरे धीरे कागज रूपी नोटों का चलन शुरू हुआ। फिर समय के मांग के अनुसार फण्ड ट्रान्सफर, एन.ई.एफ.टी., आर.टी.जी.एस. आदि माध्यमों से फण्ड का आदान- प्रदान होता था । फिर दौर आया प्लास्टिक मनी का जहाँ डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, प्रीपेड कार्ड आदि उपलब्ध रहा। और फिर आया वॉलेट का जमाना तथा इसी कड़ी में इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट एवं डिजिटल मनी लोगों के लिए उपलब्ध हुआ। वैसे वर्तमान समय की मांग तो इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट एवं डिजिटल मनी की ही हैं पर इस मांग को तीव्र गति से 8 नवम्बर 2016 को 1000 और 500 रूपये के नोट के विमुद्रीकरण ने बनाया था। उस समय छोटे छोटे नोटों की कम उपलब्धता के कारण लोग-बाग काफी परेशान होते थे तथा दूसरी तरफ 2000 रूपये के बड़े नोट के कारण जो छोटी-छोटी खरीदारी करने में काफी दिक्कत होती थी अतः इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट की मांग एकाएक बढ़ गयी थी।
इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट एक प्रकार का पर्स ही होता है जिस प्रकार पर्स में हम करेंसी/नोटों को रखते है उसी प्रकार इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट में हम आभासी करेंसी रखते है तथा इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट में पैसे रखने के लिए डेबिट या क्रेडिट कार्ड का प्रयोग होता है। फिर इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट में जमा रकम से हम खरीदारी करते है। यूँ कहे तो इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट से खरीदारी करना ज्यादा आसन होता है क्योकि पर्स में रखे नोट/करेंसी से बिलकुल उसी रकम का भुगतान करना कठिन होता जितने रुपए के खरीदारी की गयी हो परन्तु इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट के माध्यम से सुई रकम का भुगतान आसानी से किया जा सकता था।
वर्तमान में हमारे देश में अनेकों मोबाइल वॉलेट उपलब्ध है, उदहारण के लिए पे.टी.एम, फ्रीचार्ज, फ़ोन-पे, जी-पे, अमेजान-पे आदि। इसके अलावा प्रायः सभी बैंकों ने अपने अपने बैंकों के मोबाइल वॉलेट कराये है । साथ ही कुछ प्राइवेट कंपनिया भी मोबाइल वॉलेट लांच किये है जो प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। क्यू-आर कोड आधारित भुगतान का बढ़ता उपयोग भी एक विकल्प है।
वस्तु या सेवाओं के उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट का प्रयोग आज ऑनलाइन खरीदारी, किसी भी तरह के बिल का भुगतान करने में, ट्रैन या बस टिकट के शुल्क में, बिमा के प्रीमियम के भुगतान करने में, छोटी बड़ी कोई भी खरीदारी के भुगतान करने में, सिनेमा के टिकट के लिए आदि के लिए प्रयोग किया जाता है ।
वस्तु या सेवाओं को प्रदान करने वाले दुकानदारों के लिए भी यह बहुत लाभप्रद है। यह ग्राहकों से भुगतान पाने का आसन एवं सुलभ तरीका है। इसके द्वारा भुगतान करने के लिए छोटे छोटे नोटों एवं सिक्कों पर निर्भर नहीं होना पड़ता है।
इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट के लाभ:- मोबाइल पर्स के अनेकों लाभ होते है।इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट में चुनौतियाँ: - यह कहना गलत नहीं होगा कि मोबाइल पर्स ने भुगतान के लिए नकदी की समस्या को दूर किया है परन्तु इलेक्ट्रॉनिक पर्स या मोबाइल वॉलेट विकल्प में कुछ चुनौतिया भी मौजूद है जैसे:
अंत में ये कहा जा सकता है कि इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या साल-दर-साल तेजी से बढती जा रही है। डिजिटल रूपी युग में ग्राहक नए नए इनोवेशन को अजमाने के लिए तैयार बठे है और डिजिटल मनि का उपयोग करना ही पसंद कर रहे है। चुकि डिजिटल मनी वॉलेट भुगतान करने का आसन पद्धति है । अतः इसकी उपयोग की अन्नत सम्भानाये है जिसकी कल्पना करना भी मुशकिल है।