फिनटेक अर्थात वित्तीय प्रौद्योगिकी (फाइनैंशियल टेक्नोलॉजी) “ फिनटेक, वित्त कार्यान्वयन के पारंपरिक रूपों को बेहतर एवं सुलभ बनाने के उद्देश्य से एक सॉफ्टवेयर एवं मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से व्यवसायों एवं उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सुविधा के नाम से जाना जाता है|
यह ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग वित्तीय सेवाओं की डिलीवरी को उत्कृष्ट बनाने के लिए किया जाता है| इसके तहत मोबाइल से भुगतान करने से लेकर एनक्रिप्टेड लेनदेन वाले जटिल नेटवर्क तक सभी सेवाएं निहित है| फिनटेक उन लोगों की जरूरतों को पूरा करता है जो मोबाइल को केवल बातचीत करने, गेम्स खेलने या सोशल साइट्स के उपयोग तक समिति न होकर अपने मोबाइल से भुगतान तंत्र और वास्तविक समय में लेनदेन कार्रवाई करना चाहते हैं|
अन्य देशों की अपेक्षा भारत, फिनटेक क्रांति में अग्रणी रहा है| एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में फिनटेक की उपस्थिति दर दूसरे स्थान पर है| उपलब्ध आंकडें यह बताते हैं कि लगभग 3000 फिनटेक संस्था भारत में कार्यान्वित हैं तथा जिनकी उपस्थिति ने भारत में रोजगार के नए साधनों को भी जन्म दिया|
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा “कम नकदी” वाले समाज को विकसित करने हेतु इलेक्ट्रानिक रूप से भुगतान प्रणाली को बढ़ावा दिया गया है| उदाहरण के लिए, आई.एम.पी.एस. प्रणाली से भुगतान, भीम ऐप, भारत बिल पे प्रणाली अथवा आधार आधारित भुगतान सेवा प्रमुख है| कोविड-19 महामारी के दौरान और उसके बाद विद्युतीय वित्तीय लेनदेन में अपेक्षाकृत बढ़ोत्तरी ने फिनटेक की अवधारणा पूर्ण रूप स्वीकार्य बनाया|
हाल के वर्षों में, भारत में वित्तीय सेवा क्षेत्र में तेजी से प्रगति देखी गई है। प्रौद्योगिकी, नवाचार और फिनटेक मिलकर काम कर रहे हैं और इस क्षेत्र को गतिशीलता प्रदान कर रहे हैं। हमने इन ताकतों का बहुत फायदा उठाया है, लेकिन अभी हमें इनका और अधिक लाभ उठाने की जरूरत है। दूरसंचार, इंटरनेट सेवाओं की उपलब्धता, ऋण पहुँच को सुगम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने, अधिक कुशल भुगतान प्रणाली और वित्तीय समावेशन आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और यह निरंतर जारी है।
फिनटेक द्वारा निभाई जा सकने वाली सबसे परिवर्तनकारी भूमिकाओं में से एक पारंपरिक ऋणदाताओं के साथ साझेदारी ऋण वितरण के क्षेत्र में है, खासकर ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों मे | इसमें सबसे बड़ी चुनौती उच्च टर्न अराउंड टाइम के साथ कागज आधारित प्रक्रिया है। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए कृषि वित्त का डिजिटलीकरण और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋणों को कागज रहित और परेशानी मुक्त तरीके से वितरित करना और टर्नअराउंड समय को कम करने में फिनटेक एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
डाटा की सुरक्षा: सूचना प्रौद्योगिकी एवं इंटरनेट की दुनिया में किसी भी डाटा की सुरक्षा करना, सबसे प्रमुख चुनौती है| फिर चाहे मोबाइल बैंकिंग का ऐप हो या फिर फिनटेक जबकि पारंपारिक बैंकिंग में डेटा को सुरक्षित रखने के लिए सीसीटीवी, वाल्ट, बुलेटप्रूफ दरवाजे हुआ करते थे परन्तु डिजिटल बैंकिंग की दुनिया में यह एक बड़ी चुनौती है| इससे बचने के लिए उच्च स्तरीय सुरक्षा ऐप को विकसित किया जा सकता है।
सरकार द्वारा स्वच्छ और स्मार्ट बैंकिंग को संस्थागत बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में सरकार द्वारा ईज (EASE) रिफोर्म्स लॉन्च किये गए थे। इसके तीसरे रिफोर्म के अंतर्गत प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए सभी ग्राहक अनुभवों में बैंकिंग को आसान बनाने का प्रयास करने का लक्ष्य रखा गया था। जिनमें डायल-ए-लोन, फिनटेक एवं ई-व्यापार कंपनियों से साझेदारी, क्रेडिट@क्लिक, कृषि ऋण में तकनीक का प्रयोग, ईज बैंकिंग आउटलेट आदि शामिल थे। इसके बाद आए चौथे रिफोर्म के अंतर्गत राज्य संचालित बैंक, गैर बैंकिंग फर्मों के साथ सह-ऋण, डिजिटल कृषि वित्तपोषण और 24x7 बैंकिंग सुविधाओं के लिए तकनीकी लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित किया गया। इन्हीं सबको ध्यान में रखते हुए सरकार ने भी कई नए नवोन्मेषों की शुरुआत की है। इस वर्ष बजट में भी सरकार द्वारा फिनटेक और डिजिटल बैंकिंग पर काफी जोर दिया गया है। आजादी के 75 साल पूरे होने पर, बैंकों द्वारा देश के अलग-अलग जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयों की स्थापना प्रस्तावित है।
फिनटेक एक नवीन तकनीक है जो वित्तीय संस्थानों के कार्य को सुगम कर उनका मूल्यवर्धन करती है । इस समय देश में 90 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन हैं। लेकिन सिर्फ चार करोड़ लोग ही फिनटेक सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं। बड़ी संख्या में मोबाइल ग्राहक होने के कारण, वित्तीय सेवाओं के वितरण में इस तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग किए जाने की काफी संभावनाएं हैं। निकट भविष्य में फिनटेक आधारित बैंकिंग ही अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करेगी और भारतीय बैंकिंग और भुगतान प्रणाली के लिए आगे का रास्ता निर्धारित करेगी। इस विकास के परिप्रेक्ष्य में, कुछ फिनटेक नवोन्मेष एवं अवसर जो भविष्य में वित्त जगत को नई दिशा देंगें, निम्नानुसार हैंI
ये दो ऐसे क्षेत्र जहां भारतीय संदर्भ में ध्यान दिया जाना चाहिए: पहला, फिनटेक प्रयोगकर्ताओ के लिए वित्तीय प्लैटफ़ार्म तक पहुच से संबंधित है। वित्तीय रूप से वंचित जनसंख्या की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समचिुत वित्तीय उत्पादों को तैयार करना, डिजिटल ऑनबोर्डिंग और निवेश की मात्र को प्रोत्साहित करना प्रथम उद्देश्य को पाने के लिए महत्वपूर्ण है। आधार इकोसिस्टम का प्रभावी उपयोग डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर सकता है, जैसा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी)ये के मामले में हो रहा।
वर्तमान में भी देश की एक बड़ी आबादी औपचारिक वितीय प्रणाली के दायरे के बाहर हैI वितीय प्रोधोगिकियों के प्रयोग के माध्यम से पारंपरिक वितीय एवं बैंकिंग संबधी मॉडल में विसमावेशन से जुडी चुनौतियों को दूर किया जा सकता है अतः फिनटेक के बढ़ते कदम से वितीय समावेशन के क्षेत्र में अपार सम्भावनाये मौजूद है।
आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस: कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता को आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस कहते हैं । उसका प्रयोग हम अपने व्यावसायिक निर्णयों को आसान, त्वरित और सटीक बनाने के लिए करते हैं। बैंकिंग सेवा में भी फिनटेक कंपनिया द्वारा आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस का प्रयोग करके बेहतर ग्राहक सेवा, बेहतर कार्य दक्षता और धोखाधड़ी के जोखिम को कम कर सकने का पर्याप्त सम्भावनाये उपलब्ध है।
फिनटेक के मौजूदगी से वितीय संस्थानों में ग्राहकों के अपेक्षाओं के अनुरूप कार्यों को आसन तरीके से, कम समय में होने से ग्राहकों के अनुभवों में सुधार होते है तथा कार्यों में उपयुक्त पारदर्शिता , व्यापक पहुच तथा सेवाओं में सुलभता आदि सुविधाए प्रदान करते है जिससे ग्राहक सशक्त बन पाने में समर्थ होते है।
वैकल्पिक ऋण क्षेत्र में फिनटेक, देश में ऋण की मांग एवं उसकी पूर्ति के बीच के गैप को कम करने में मदद करता है अतः आज के प्रोधोगिक युग में वैकल्पिक तरीके से ऋण मुहैया कराने का अपार अवसर मौजूद है।
पी२पी के अंतर्गत दो व्यक्तियों के बीच बिना किसी मध्यस्थ के उधार देने की उचित व्यवस्था फिनटेक कंपनियों के कारण उपलब्ध हुई है जिससे वितीय संस्थानों को होने वाले मध्यस्थों पर होने वाले खर्चों से राहत मिलती है।
रोबोटिक हेल्प डेस्क एवं चैटबॉट : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के इस दौर में आज कई फिनटेक कंपनियाँ रोबोटिक हेल्प-डेस्क पर काम करना शुरू कर चुकी हैं। कई स्वाभाविक भाषा प्रसंस्करण तकनीक से दक्ष चैटबॉट्स भी ग्राहक सेवा प्रदान कर रहे हैं। चैटबॉट्स अनेक स्रोतों से जानकारियों को समेकित कर ग्राहकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब लगभग 0.4 सेकंड से भी कम समय में देने में सक्षम होते हैं जिससे ग्राहकों के समस्या का समाधान त्वरित हो जाता है अतः वितीय संस्थानों को हेल्प डेस्क के लिए अतिरिक्त स्टाफ की जरुरत नहीं पड़ती तथा वितीय क्षेत्र में इस की अपार सम्भानाये मौजूद है।
फिनटेक में संभावना है कि यह भारत में वित्तीय सेवाओं और वित्तीय समावेशन के परिदृश्य को मौलिक रूप से नई शक्ल प्रदान कर सकता है। इससे लागत में कमी के साथ-साथ वित्तीय सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार आ रहा है। हमें प्रणालीगत प्रभावों को कम करते हुए, फिनटेक का प्रभावशाली तरीके से उपयोग करके एक संतुलन स्थापित करना है। हमारे लिए यह निर्णय का समय है और हमें इस अवसर को अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहिए। आने वाले समय में फिनटेक अर्थव्यवस्था के सबसे अधिक संपन्न क्षेत्रों (व्यापार वृद्धि और रोजगार सृजन दोनों मामलों में) में से एक होगा। भारत में फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र वास्तव में विकसित हुआ है और एक विशाल छलांग के लिए तैयार है। ये वित्तीय नवाचार सिर्फ हमारे लिए नहीं है, यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मजबूत बुनियाद का काम करेंगे। भविष्य में एक सशक्त, सुरक्षित और जोखिम रहित वित्तीय व्यवस्था को सुनिश्चित करेगा|