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हिंदी भाषा सरस एवं बहुत मृदु मानी जाती है। एक बार हिंदी बोलकर कोई व्यक्ति देखा है तो उसका दीवाना हो जाता है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जो हिंदुस्तान की प्रमुख भाषाओं में से एक गिनी जाती थी जाती रही है क्योंकि हिंदी है ही इतनी सरल की हर जन इसको आसानी से बोल सकता है। हिंदी के जानने वालों की संख्या भी कम नहीं है। हिंदी को मातृभाषा की संज्ञा दी गई है। हिंदी बहुत अधिक शब्दों के भंडार से बनी हुई है। किस प्रकार भारत के संविधान में विभिन्न देशों के संविधानों की अच्छे-अच्छे बातें जोड़कर बनाया गया है ऐसे ही हिंदी भाषा में न केवल हिंदी अपितु अन्य भाषाओं के शब्द भी मिलकर अपार खजाना बना दिया है। हिंदी को विदेशी भी बहुत आसानी से बोल लेते हैं इसलिए हिंदी सर्वोपरि भाषा बनती जा रही है। एक वक्त था जब हिंदी के जाने माने कवि लेखक और महान व्यक्ति हुए हैं जिनके आधार पर हिंदी के समाचार पत्र भी प्रकाशित हुये। प्रथम हिंदी समाचारपत्र 30 मई 1826 को उद्दंड मारतंड भी निकला गया। हिंदी का महत्व कल भी था आज भी है और भविष्य में भी रहेगा।

आज के दिन जहां लोग अंग्रेजी की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। एक अंग्रेजी बोलने वाले व्यक्ति के चेहरे की तरफ लोग आकर्षित हो जाते हैं परंतु यह नहीं है कि हिंदी के ज्ञाता का सम्मान नहीं होता है अपितु हिंदी भाषा की अच्छी जानकारी अगर कोई रखता है तो उसकी ओर सभी आकर्षित हो जाएंगे। जब कभी दुष्ट अधिक बढ़ जाते हैं तो देवता अपना रूप बदलकर आते हैं और दुष्टों का सहार करते हैं। ठीक उसी प्रकार जब अंग्रेजी भाषा अधिक बोली जाने लगी है तो हिंदी भाषा का महत्व अपने आप ही किसी न किसी रूप में बढ़ गया है। यदि अधिकांश लोग अंग्रेजी बोलने लग जाएंगे तो हम अंग्रेज कहलाएंगे और उन लोगों का क्या होगा जो हिंदी को अच्छी प्रकार नहीं जानते। ऐसे में अंग्रेजी के समक्ष हिंदी टिक पाती है। अंग्रेजी का मुकाबला कर उसे पीछे धकेल देती है। वास्तव में हिंदी का महत्व बढ़ता ही जा रहा है। जहां पत्र पत्रिकाओं में देखा जाए तो हिंदी ज्यादा प्रयोग की जाती है। हिंदी के पाठक भी बढ़ते ही जा रहे हैं। बेशक अंग्रेजी भाषा अंतर्राष्ट्रीय भाषा है किंतु हिंदी भाषा भी किसी प्रकार कम नहीं है। अब तो बड़ी बड़ी परीक्षाएं भी हिंदी में होने लगी हैं वहीं न्यायालय से भी हिंदी में कोई आदेश चाहिए तो उपलब्ध हो पाता हे।

हिंदी के महत्व को इस बात से भी लगाया जा सकता की हिंदी के बोलने वाले कम नहीं हो रहे। हिंदी के पत्र पत्रिकाओं की संख्या बढ़ती जा रही। हिंदी के कवि एवं लेखक बढ़ते जा रहे हैं। हिंदी दिलों को जोड़ती जा रही है, एकता का संचार कर रही है और हिंदी के कारण ही आज लोग अपने विचारों का आदान प्रदान आसानी से कर लेते हैं। विदेशों तक नेताओं एवं महान व्यक्तियों ने अपने भाषण तक दिये हैं। जहां स्वामी विवेकानंद ने विदेशों में हिंदी बोलकर सबका मन मोह लिया था, उन्हें सदियों तक उनके हिंदी के भाषण को याद रखा जाएगा। उनका 12 सितंबर 1893 का ऐतिहासिक भाषण अमर हो गया जो हिंदी में था। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई भी विदेश में हिंदी बोलने में प्रसन्नचित हो जाते थे। 1977 अटल बिहारी बाजपेई ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में भाषण दिया था। यह भाषण सदा सदा याद रखा जाएगा। वास्तव में हिंदी का अपना महत्व है। दिनों दिन हिंदी का उपयोग बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया को देखा जाए तो हिंदी के शब्द प्रयोग करके आज आम जन तक पहुंचाया जा रहा है। चाहे कोई चुनाव लड़े जाते हैं, चाहे कोई विधान बताया जाता है, चाहे ज्ञान की बातें लोगों तक पहुंचाई जाती तो हिंदी भाषा को ही प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है और सोशल मीडिया का सहारा लिया जाता है। कहने को तो लोग ई-मेल यूट्यूब पर अपने विचार और सोशल मीडिया के जितने भी प्लेटफार्मों पर विचार व्यक्त करते देखे जाए तो हिंदी में ही अधिक भेजे जाते हैं। केपीओस की टीम द्वारा किए गए विस्तृत विश्लेषण से पता चलता है कि जुलाई 2024 के आरंभ में दुनिया भर में 5.17 बिलियन सोशल मीडिया उपयोगकर्ता थे, जो कुल वैश्विक आबादी का 63.7 प्रतिशत है।

सोशल मीडिया में हिंदी भाषा का वर्चस्व का प्रमुख कारण यह है कि हिंदी भाषा अभिव्यक्ति का सशक्त एवं वैज्ञानिक माध्यम है। संबंधित पोस्ट के भावों को समझने में असुविधा नहीं होती है। लिखी गई बात पाठक तक उसी भाव में पहुँचती हैए जिस भाव से लिखा जाता है। सोशल मीडिया पर मौजूद हिंदी का ग्राफ दिन दो गुनी रात चौगुनी आसमान छू रहा है। इसलिए हिंदी का महत्व आज के दिन बढ़ता जा रहा है और जहां इसकी आवश्यकता है। हिंदी प्रयोगकर्ता बढ़ते ही जा रहे हैं। क्योंकि दिनोंदिन इसकी आवश्यकता बढ़ती जा रही है। जहां कहीं देखे तो आपस में बातचीत का जरिया हिंदी अधिक होता है या हिंदी का कोई रूप प्रयोग में लाते हैं। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो पूरे विश्व में अंग्रेजी जहां 1.42 बिलियन लोग बोलते हैं, व हिंदी को 662 मिलियन लोग बोलते हैं। हिंदी भाषा को 10 विभिन्न भाषाओं में शामिल किया गया है। जहां संसार में चौथे स्थान पर हिंदी का है जो सबसे अधिक बोली जाती है। हिंदी मधुर होने के कारण इसका उपयोग किया जाता है। हिंदी की उत्पत्ति खड़ी बोली से हुई थी और आज भी हिंदी अपना स्थान बनाए हुए। भारतीय संविधान में 22 भाषाएं वर्णित है। इसलिए इन भाषाओं को हिंदी के साथ-साथ बोला जाता है।

चूंकि भविष्य विज्ञान का युग रहेगा। विज्ञान के युग में मोबाइल का सदा ही उपयोग रहा है और भविष्य में भी यूं ही चलेगा। ऐसे में हिंदी के प्रयोग करने वाले बढ़ते ही चले जाएंगे। कुल मिलाकर हिंदी भाषा का महत्व आज के दिन बढ़ा है और इसके और बढऩे की संभावना है।

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