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हमारे ऋतुराज आए हैं
आम के सर का ताज लाए हैं
सखी हमारे ऋतुराज आए हैं
सरसों के फूलों पर चलकर मौसम में बाहर ले हैं
सूखे पेड़ों पर हरे - हरे पत्तों का लिबाज़ लाए हैं
सखी हमारे ऋतुराज आए हैं
हर जगह फूलों का गुच्छा बेशुमार लाए हैं
पीली चादर ओढ़ बसंत बहार लाए हैं
सखी हमारे ऋतुराज आए हैं
शीतल मंद हवा फागुनहर वाली
देने को दस्तक गुझिए की मिठास लाए हैं
सखी हमारे ऋतुराज आए हैं
सबके मन को हरसाने
थोड़ी गर्मी और थोड़ी सर्दी का एहसास लाए हैं
सखी देखो ना ऋतुओं के राजा ऋतुराज आए

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